कहते हैं की किस्मत से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता। कुछ ऐसी ही हैं आज की कहानी। जो आपके कितने भी ख़राब हालत हो सुधरेंगे जरूर ये हौसला देगी।
हम आपको बता रहे हैं मुस्तफा पीसी के बारें में। जिनकी ७३०करोड़ की कंपनी हैं।उनका जन्म केरल के एक सुदूर गांव में हुआ था। जो ६ठी कक्षा मैं फ़ैल होने की वजह से स्कूल छोड़ दिया था और अपने पिताजी के साथ दिहाड़ी मजदूरी करते थे। उनकी एक टीचर ने मुस्तफा को स्कूल फीस ज्वाइन करने पर जोर दिया। उनके पापा हमेशा ही उनको पढ़ना चाहते थे तो उन्होंने फिरसे स्कूल मैं भेज दिया।
एक इंटरव्यु मैं मुस्तफा ने बताया की उनको बोहोत मुश्किल से १० रूपया मिलता था दिहाड़ी का। ३ समय का भोजन उनके लिए सपने जैसा था। मुस्तफा की कंपनी खाने पे बेस हैं जिसका नाम ID FRESHFOOD हैं। जिसका टर्न ओवर ७३० करोड़ रुपये हैं। फिरभी उन्होंने ये भी कहा की वो भोजन से ज्यादा शिक्षा को महत्व पूर्ण मानते हैं।
उन्होंने बताया की उनके जिस टीचर ने उन्हें स्कूल वापस जाने के लिए मनाया था उन्होंने उनको फ्री मैं पढ़ाया। वो गणित मैं टॉपर भी हुए। उसके बाद वे स्कूल टॉपर भी रहे। जब कॉलेज़ जाने का समय आया तब उसी टीचर ने उनकी फीस भर कर उनको पढ़ाया।
पहली सैलरी पर आये आंसू।
मुस्तफा ने बताय की जब उन्हें नौकरी मिली तो उनकी पहली सेलेरी १४००० रुपये थी जो की उन्होंने उनके पिताजी के हाथ मैं दे दी। उनके पापा रोने लगे और बोले – तुमने मेरी पूरी ज़िन्दगी से अधिक कमाया हैं। उसके बाद मुस्तफा को फोरें मैं एक नौकरी मिली।जिसकी सेलेरी से महज दो महीनो मैं ही उन्होंने उनके पिताजी का २ लाख का कर्जा चूका दिया था।
कैसे आया बिज़नेस आइडिआ ?
मुस्तफा के एक कज़िन हैं जिन्होंने देखा की एक लोकल सेलर पाउच मैं भरकर इडली बेटर बेच रहा था लेकिन ग्राहक उसको गुणवत्ता के बारें में कम्पलेन कर रहे थे। तो उन्होंने मुस्तफा को ये आईडिया दिया ‘गुणवत्ता युक्त बेटर’ बेचने का। मुस्तफा हमेशा से ही चाहते थे की उनका अपना बिज़नेस हो। तो उन्होंने इस आईडिया पे काम किया और ID FRESHFROOD का जन्म हुआ।
हलाकि उन्होंने एक ५० स्क्वेर फुट की रसोई से उन्होंने शुरआत की थी। दिन के १० पैकेट बेचने के लिए उन्होंने ९ महीने तक का समय लगा। लेकिन उन्होंने धीरज नहीं खोयी। कुछ ऐसा समय भी आता था जब वो कर्मचारियों को पगार नहीं दे पाते थे लेकिन उनको फिर इन्वेस्टर्स मिल गए और आज कंपनी करोडो की हैं।