यह खबर मप्र के मुरैना जिले से आ रही हे. दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का गुजरान चलाने वाले अमृतलाल अपने बच्चो को अच्छा भविष्य देना चाहहते थे. जैसे जैसे उनके बेटे बडे हो रहे थे, वैसे वैसे पढाई का खर्च बढ रहा था पर उन्होंने ठान के रखा था, एक वक्त की रोटी न खाकर भी अपने बच्चो की पढाई मे कमी नहीं आने दूंगा। उनके पास थोड़ी जमिन थी जो उन्होंने गिरवी रख के पैसे लिए और बच्चो की पढाई को आगे बढाया.
अमृतलाल समज गये थे की, बच्चो की महगी पढाई के लिए इससे काम नहीं चलने वाला. जैसा की हम जानते हे पायलट की पढाई मुश्किल और महंगी होती हे. उसके बाद उन्होंने दिहाड़ी मजदूरी कर अपने तीन बेटों को पायलट बनाने के लिए सब कुछ दाव पे लगा दिया। उन्होंने बैंक से स्टडी लोन भी लिए. आज भी हालत यह है कि परिवार एजुकेशन लोन और पढाई के लिए उधार लिए पैसे के भारी कर्ज को चूका रही हे। अमृतलाल को अब कोई टेंशन नहीं हे क्युकी अब उनके तीनो बेटे पायलट हे और वही कर्ज चूका रहे हे. एक पिता के लिए इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती हे की उसके बच्चे कामियाब हो.
अमृतलाल अब उनके बड़े बेटे के साथ रहते हे, उनका बडा बेटा सिम्युलेटर बनाने के लिए काम कर रहा हे. लॉकडाउन की वजह से काम कम था जिस वजह से वह फ्री टाइम मे इस पर काम कर रहे थे. फ़्लाइट सिम्युलेटर को पायलट को ट्रेन करने के लिए उपयोग में लिया जाता हे. इस सिम्युलेटर को भारत मे १ करोड से भी ज्यादा पैसे देके खरीदा जाता हे. अजयसिंह ने इसे सिर्फ २५ लाख में तैयार कर दिया.
अमृतलाल के बच्चो ने बताया की जब हम पढाई करते थे तो पापा के पास फीस चुकाने के भी पैसे नहीं होते थे, वह दिहाडी पर काम जाते थे और हमारी फीस भरते थे. उन्होने दिन रात महेनत कर के हमें पढाया हमें कभी किसी चीज की जरुरत नहीं महसूस नहीं होने दी, हमारा भी फर्ज बनता था की उनके पसीने की किंमत उनका सपना साकार करके पूरा करे और आज हम तीनो भाई पायलट हे. उन्होंने कहा की जब वह सिम्युलेटर बना रहे थे तब भी परिवार ने मानसिक और आत्मविश्वास बढा के बोहत मदद की. वह भारत के लिए प्लेन और ड्रोन के लिए सिम्युलेटर बना ना चाहते हे और उनकी महेनत देख के लग रहा हे की जल्द ही भारत के पास मेड इन इंडिया सिम्युलेटर होगा.