बोहोत डरावनी खबर, जल्द ही भारत के यह शहर डूब सकते हे पानी मे। बर्फ पिघलने की रफ्तार हुई तेज।

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अमेरिकी एजेंसी ने सी लेवल मैनेजमेंट का एक ऐसा टूल बनाया है जिससे समुंदर में होने वाले बदलाव की सही जानकारी मिल सके। सी लेवल प्रोजेक्शन टूल भविष्य में होने वाले समुंदर के बदलाव का अंदाजा आपको पहले से ही दे देते हे। यह टूल को बनाने का मकसद यह था कि इससे भविष्य में होने वाली आपदा से समुद्र के तट पर बसे शहरों को और लोगों को बचाया जा सके। इसी के तहत एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें पूरी दुनिया के कहीं शहर, बेट पानी में डूब सकते हैं जिसमें से भारत के भी कही शहर शामिल हे।

रिपोर्ट के अनुसार भारत के कही शहर पानी मे डूब सकते हे! यह रिपोर्ट के अनुसार आज से 80 साल बाद यानी 2100 तक समुंदर का पानी का लेवल 3 फुट तक बढ़ जाएगा। समुद्र का लेवल 1 इंच भी बढ़ता है तो उससे कही छोटे मोते द्वीप डूब जाते हैं मगर यहां पर बात हो रही है समुंदर का जलस्तर 3 फुट तक बनने की जो कि वाकाई चिंता की बात हे। आइए जानते हैं भारत के कोन से शहर पानी मे डूब सकते हे।

जैसे जैसे गर्मी में बढ़ोतरी हो रही है वैसे वैसे ग्लेशियर बी पिघल रहे हैं। इस सदी की अंत तक माना जाता है कि भारत के 10 से अधिक शहर पानी में डूबने लगेंगे। जिनमें भावनगर, ओखा, कोच्चि, मुंबई, गोवा के तटीय क्षेत्र, लक्षद्वीप, मेंगलुरु, बंगाल का किदारोपोल जैसे अनेक भाग में पानी भरना शुरू हो जाएगा। यह एक पूरे विश्व के लिए गंभीर निशानी माना जाता है भारत ही नहीं मगर पूरे विश्व में ऐसे तटीय क्षेत्र पानी मे जाना शुरू हो जाएंगे। ग्लोबल वार्मिंग के संकेतों में अभी से दिखना शुरू हो गए हैं जो कि सदी के अंत तक रहेगा।

20 सालो मे धरती का तापमान 1.5 सेल्सियस तक बड़ जायेगा ऐसा अनुमान हे। IPCC की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 सालो में जिस गति से गर्मी मे इजाफा हुआ हे वह काफी चौकाने वाला हे, और पृथ्वी के लिए खतरनाक हे। आने वाले सालो मे भी अगर इसी प्रकार से गर्मी मे बड़ोत्री होती रही तो ग्लेशियर तेजी से पिगलेंगे जिससे जन हानि और जमीन डूबने से लेके तटीय शहरों के तबाह होने की संभावना हे। छोटे द्वीप समुंद्र मे ही डूब सकते हे।

ग्लोबल वार्मिग या बदलते मौसम मे अ रहे परिवर्तन से बचने के लिए पेरिस समझोता किया गया जिसका हिस्सा भारत भी हे। अगर हमे प्रलय से बचना हे तो, सोलर, विंड फार्म, इलेक्ट्रिक व्हीकल का उपयोग और, कोयले कार्बन का कम इस्तमाल करना होगा, साथ ही पेड़ लगाना, नदी यो को अच्छा करना, प्लास्टिक का कम उपयोग करना लाभदाई रहेगा। जो सिर्फ मानव जगत के लिए नही पर जानवर , पक्षी और मछलियों के लिए भी अच्छा रहेगा। परियावरण और इंसान के बीच संतुल बनाके चलाना जरूरी हे।

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