बेटे की एक ख्वाइश पूरी करने के लिए 90,000 की गवर्नमेंट जॉब छोड गाँव शिफ्ट हो गई माँ, पूरी बात जानकर होगा गर्व

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आज लोग गांव से निकल कर शहर मे जेक बसने का पसंद कर रहे हे. आज की युवा पीढ़ी शहर की रौनक देखके गांव मे खेती करना भी पसंद नहीं है। कही न कही ये बात भी हे की किसान या खेती करना दिन प्रति दीन मुश्किल होता जा रहा हे. ऐसे में इन सबके बीच एक कपल भी है, जो अपने बच्चे को शहरी जीवनशैली से दूर रखकर खेती की नई तकनीक सिखा रहा हे.

पति पत्नी दोनो सरकारी नौकरी करते थे मगर उन्होंने अपनी नौकरी छोड दी और गाव मे आके बसे. इस कपल के ऐसा करने की वजह जानकर आपका सीना गर्व से भर जाएगा। आपको बता दे की राजेंद्र सिंह और उनकी पत्नी चंचल कौर का 11 साल का बेटा गुरबख्श सिंह है। पति भारतीय रेलवे में काम करते हैं, जबकि उनकी पत्नी चंचल भी सरकारी स्टाफ नर्स मे काम करते थे। यह फॅमिली राजस्थान के रहने वाली हैं, लेकिन हाल के दिनो मे दोनों ने इंदौर के पास रहे ते हे जहा पर उन्होंने डेढ़ हेक्टेयर जमीन खरीदी हे, जहां वे अपने 11 साल के बेटे को खेती करना सीखा रहे हे.

उनका बीटा जैसे जैसे बडा हो रहा था वैसे वैसे पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदुषण, आर्गेनिक फ़ूड के बारे मे बोहत से प्रश्न पूछने लगा. तब जाके दंपति को हुआ की पैसे तो ाचा कमा रहे हे पर क्या वह अपने बच्चे को स्वस्थ और स्वच्छ जीवन की दे पा रहे हे? अब उनका मानना था की भले ही हम बड़े शहर में रहकर अच्छा पैसा कमा ले, लेकिन हमारे पास न तो साफ हवा है और न ही शुद्ध पानी। शहरी जीवन मे प्रदूषण और कुपोषित खोराक से स्वास्थ्य को प्रभावित होगा, तो इतना पैसा कामके क्या फायदा।

फिर उन्होंने फैसला किआ की वह अपने और बच्चे के स्वास्थ के लिए गांव में जा के जैविक खेती करेंगे। फिर क्या चंचल ने 2016 में 90000 की सरकारी नौकरी तक छोड़ ने का फैसला किया। फिर इन्होने जैविक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने सोलर कुकिंग, सोलर ड्रायिंग और जीरो वेस्ट लाइफस्टाइल भी सीखी।

चंचल ने बताया की उनका बीटा भी गांव मे रह कर खेती की जैविक कला सिख के बोहत खुश हे. उसने गांव मे कई दोस्त भी बनाए हैं। वह उन्हें सोलर कुकिंग और ऑर्गेनिक खेती के बारे मे भी बताते हे. साथ ही गांव के लोगो को परंपरागत खेती के आलावा आधुनिक और तकनीक के सहारे खेती करना भी सीखा रहे हे. साथ ही उन्हों अपने बेटे को पैसे के पीछे भागना या दौड न लगाने की सलाह दी हे। किसी से आगे या पीछे जाने की चिंता न करें, बस अच्छा सात्विक संतोषी जीवन की रह पर चले.राजेंदा अक्सर काम के कारण बाहर रहते है, ऐसे में चंचल बच्चे की पढ़ाई, खेती और दूसरे काम अकेले ही संभालती है।

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