एक इटालियन कम्पनी ने भारत मे 1965 मे बिसलेरी पानी बेचने की शरुआत की थी। उनका नाम था फेलिस बिसलेरी।बिसलेरी वेसे तो बोहत पुरानी कम्पनी रही हे, फेलिस ने इंडिया मे मलेरिया जैसे रोगो की दवाई बेचना शरु किया था। 1921 मे फेलिस की मौत हो गई और कम्पनी की कमान उनके फॅमिली डॉक्टर रोजिज के हाथ मे आइ। रोजिज डोक्टोर थे पर उनका दिमाग बिज़नेसमेन की तरह सोचता।
रोजिज ने १९६५ मे बंध बोटेल मे पानी भरके बेचना शरु क़िया। उन्होंने ख़ुशरू के साथ पारटनेरशिप मे बसनेसशुरू किया। पहेला प्लांट जब थाणे मे लगा तो लोग हंस रहे थे जिस देश मे खाने के लिए मुश्किल पड़ रही हे वहा पैसे से पानी कोन ख़रीदेगा। मगर रोजिज आस्वस्थ थे क्यू की उनको पता था की मुम्बई मे पानी की गुणवत्ता अछी नही हे और अमीर लोग इसे जरुर खरिदेंगे और हुआ भी कुच ऐसा ही बड़ी होटेलो मे बिसलेरी की बोटेल बिकने लगी।
खूशरु ने 1969 मे बिसलेरी को बेचने का तय किया। पूरे मार्केट मे यह बात फ़ेल गइ। पर्ले ने आगे आके बिसलेरी को ४ लाख मे ख़रीद लिया। उसके बाद पर्ले ने बिसलेरी मे जम के पैसे लगाए और पानी की बोटेल हर शहर हर दुकान तक पहुचाने की कोशिश की। बिसलेरी ने पानी के साथ साथ सोडा बेचना भी शरु किया। कुच ही वक्त मे बिसलेरी ने रैल वे, बस स्टोप, highway होटेल्स, दुकानो पे फैलने लगा। धिरे धिरे बिसलेरी की कोपि होने लगी, बिसलेरी को देख के कही और कंपनी मार्केट मे आइ पर आज तक बिसलेरी की जगह कोई नहीं ले पाया। बिसलेरि एक ब्रांड से बढ़कर विश्वास हो गया!