हमारे देश में 1999 में कारगिल युद्ध के समय देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की जांच के लिए बनी उच्चस्तरीय समिति ने सीडीएस की नियुक्ति की अनुशंसा की थी। जनरल रावत ने पिछले वर्ष एक जनवरी को भारत के पहले सीडीएस का पदभार संभाला था, ताकि सेना, नौसेना और भारतीय वायुसेना के कार्यों में समन्वय लाया जा सके और देश की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी की जा सके।
बतादे के सीडीएस की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष है जबकि सेना प्रमुखों का कार्यकाल 62 वर्ष या तीन वर्षों के लिए होता है। जनरल रावत ने पिछले दो वर्षों में तीनों सेनाओं में सुधार के लिए व्यापक कार्य किए थे। जनरल रावत का कार्यकाल मार्च 2023 तक था।
जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु के बाद यह पद खाली हो गया है। सरकार यह कदम तब उठा रही है जब कई सेवानिवृत्त सैन्य कमांडरों का कहना है कि जनरल नरवणे को इस पद पर नियुक्त करना विवेकपूर्ण कदम होगा क्योंकि वह पांच महीने के अंदर सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त होने वाले हैं। सरकार जल्द ही अगले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेगी और शीर्ष पद के लिए दौड़ में सबसे आगे सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे हैं।
थल सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष का पदभार संभाला लिया है, जिसमें तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल होते हैं। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के हेलीकॉप्टर हादसे में आठ दिसंबर को प्रमुखा रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) के निधन के बाद से यह पद रिक्त था।
सूत्रों ने बताया कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से जनरल नरवणे के सबसे वरिष्ठ होने के चलते उन्हें कमेटी के अध्यक्ष का पदभार सौंपा गया है. सीडीएस पद के गठन से पहले आमतौर पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों में से सबसे वरिष्ठ को ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के अध्यक्ष का पदभार सौंपा जाता था।