आज कल सेना में भरती होने के लिए कई कोचिंग सेंटर और फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर खुले है| एक ऐसे ही फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर से चार बच्चे भाग निकले थे| एक बच्चा वापिस चला गया था तो तिन बच्चे नंगे पैर ही भागे थे| उन्हें कुछ किल्मितर चलने के बाद एक बस मिलती है| वहा से वह लोग एक पोलिस थाना पहुचते है और उनके साथ बीती आपबीती बताते है| बाद में परिजनों को बुलाकर उन्हें अपने परिजनों को सोंप दिया जाता है|
दरअसल यह बात है हरियाणा के बहादुरगढ़ की| यहाँ पर एक फिजिकल ट्रेनिंग सेंटर चल रहा है| वहा से 4 बच्चे भाग निकालते है| एक बच्चा वापिस चला जाता है तो तिन बच्चे कई किलोमीटर नंगे पैर चलकर एक बस में बैठ जाते है| बस ड्राईवर को इनकी यह दशा देख संदेह होता है| बस में मौजूद एक सोशियल वर्कर कोभी इन बच्चो को देख संदेह होता है की यह बच्चो की ऐसी हालत क्यों है?
बस ड्राईवर का नाम अशोक है और सोशियल वर्कर का नाम हिमानी है| ड्राईवर ने बच्चो के पास से टिकिट नहीं ली और हिमानी के साथ मिलकर बस को नजदीकी पोलिस स्टेशन लेकर गए| वहा पर एक और सोशियल वर्कर रघुवेंद्र को बुलाया जाता है| और बच्चो की कौन्सेलिंग करी जाती है| उतने में बच्चो के परिजनों कोभी बुलाया जाता है और वहापर बच्चो के परिजन भी पहुच जाते है|
बच्चे अपनी आपबीती बताते हुए कहते है की, उनको ट्रेनिंग सेंटर में पोछा लगवाया जाता है और अगर वह मना करते है तो उनके साथ मार पिट करी जाती है| इसके अलावा बच्चो का कहना है की उनको बासी खाना भी दिया जाता है और अन्य कई काम भी करवाते है| यह सुन कर एक परिजन कहते है की उसमे क्या गलत है| हमें भी बचपन में काफी बार मार पड़ती थी और घर के काम भी करने पड़ते थे| काफी समय तक चली बातचीत के बाद बच्चो को अपने परिजनों को सौंप दिया जाता है|
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