पिछले कुछ दिनों से सभी देशो के बाजार गिर रहे है। बाकी देशो में हुई गिरावट का असर भी हमारे देश पर पड़ता है ,क्योकि हमारा भी व्यापर दूसरे देशो के साथ जुड़ा होता है। ऐसे में देखा जाए तो विदेशो में हो रही गिरावट की वजह से हमारे देश का भी बाजार गिर रहा है। बाजार में हो रही गिरावट के से खाने पीने के चीजों में भी नर्मी देखने को मिल रही है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 3.90 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि शिकागो एक्सचेंज में लगभग तीन प्रतिशत की गिरावट थी। विदेशों की मंदी से स्थानीय तेल तिलहनों के भाव भी नरम हो गये और हानि दर्शाते बंद हुए।विदेशों में गिरावट के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में मंगलवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन जैसे तेल- तिलहनों के भाव नरमी का रुख रहा। सामान्य कारोबार के बीच कुछ तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में गिरावट के कारण सोयाबीन तेल तिलहनों के भाव दबाव में आ गये जिससे इनकी कीमतों में गिरावट आई।बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट आने से सीपीओ और पाामोलीन के भाव भी नरमी के साथ बंद हुए। बतादे के हमारे देश में ज्यादातर पामोलिन ऑइल मलेशिया से ही आता है।
गिरावट के आम रुख के बीच सरसों और मूंगफली तेल तिलहन तथा बिनौला तेल के भाव हानि के साथ बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि सरसों के थोक भाव के हिसाब से, खुदरा मंडियों या ‘शॉपिंग मॉल’ में सरसों का दाम 175-180 रुपये प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये और यदि इससे अधिक दाम वसूले जा रहे हैं तो कहीं कुछ गड़बड़ है। सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 8,800 रुपये से घटाकर 8,650 रुपये क्विन्टल कर दिया गया जिससे बाकी जगह भी सरसों के भाव दबाव में आ गये।