पेट्रोल की कीमत: निरमला सीतारमण ने बताया आखिर क्यों नहीं घटाई जा रही ईंधन की कीमते, यह है कारण

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देश में पिछले एक डेढ़ साल से आये दिन जीवन जरूरियात की चीजों की कीमत आये दिन बढ़ती जा रही है। हरेक जीवन जरुरी चीज अभी तक के सबसे ऊँची कीमत पर है। कोरोना के कारण कई लोगो की रोजगारी पर असर हुआ है और ऐसे में दिन ब दिन देश में बढ़ती जीवन जरूरियात की कीमतों ने लोगो का जीना हराम कर दिया है।

देश में लोग पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों से बहोत परेशान है। डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण उसका असर दूसरी चीजों पर भी पड़ता है और उनकी कीमते भी लगातार बढ़ती जा रही है।देश के लोगो के साथ साथ विपक्षी दल लगातार सरकार से बढ़ती ईंधन की कीमतों पर कटौती करने की गुहार कर रही है। इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल डीजल की कीमतों में क्यों कमी नहीं आ रही है उसका कारण बताया है।ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कोई कटौती नहीं करने की बात कही।’

सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा के, ‘ यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये के तेल बांड जारी कर पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती की थी। हमारी सरकार यूपीए सरकार जैसा गन्दा खेल नहीं खेल सकती हम उनके जैसी चालबाजी कदापि नहीं करेंगे।

आपको बतादे के ऑयल बॉन्ड के कारण हमारी सरकार पर काफी बोझ पड़ रहा है, इसकी बदौलत हम चाह के भी पेट्रोल-डीजल की किमत कम नहीं कर पा रहे। ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘आम जनता का इस विषय पे चिंतित होना और सरकार पर सवाल उठाना सही है। लेकिन जब तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारे मिलके जब तक बीच का कोई रास्ता नहीं निकालते, तब तक मुझे लगता है के ईंधन के भाव ऐसे ही बढ़ते रहेंगे और तब तक मुझे उसका कोई समाधान नहीं दिख रहा है।’

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘अभी के हालत देखते हुए ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कोई कटौती होने के संजोग मुझे नहीं दिखाई दे रहे है। यूपीए सरकार ने जो तेल बॉन्ड जारी किये थे उसके ब्याज का भुगतान हमारी सरकार कर रही है और इससे राजकोष पर बोझ पड रहा है। हमारी सरकार ने पिछले 5 वर्षों में तेल बांड पर ब्याज में कुल 70,195.72 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का भुगतान किया है।’

उन्होंने कहा, ‘हमें अभी भी 2026 तक 37,000 करोड़ रुपये का ब्याज देना होगा। ब्याज भुगतान के बावजूद, 1.30 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मूलधन अभी भी लंबित है। अगर सरकार पर तेल बांड का बोझ नहीं होता तो हम ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होते।’

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