पुतिन ने कहा में जुकेगा नहीं साला तो अमेरिका भी हमले का अधिकार मांगने के लिए पहुंचा UNSC

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अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तमाम अपीलों को दरकिनार करके यूक्रेन पर चढ़ाई कर दी है. काफी कोशिशों के बावजूद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक से दो नहीं हो रहे है। ऐसे में अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों ने अब संयुक्त राष्ट्र का रास्ता अपनाने की ठानी है. इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बेहद सख्त चैप्टर 7 के तहत प्रस्ताव पेश किया है. इसके तहत नाटो को रूसी आक्रमण का जवाब देने के लिए ताकत के इस्तेमाल का अधिकार दिया जाना है. इस पर आज ही वोटिंग होगी. रूस इसके लिए तैयार बैठा है. वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते इस प्रस्ताव को वीटो करेगा. लेकिन अमेरिका आदि देशों ने इसका भी रास्ता निकाल रखा है. इस वोटिंग के दौरान भारत का क्या रुख रहेगा, इस पर सभी की नजरें रहेंगी.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन भारत और चीन दोनों पर जोर डाल रहे हैं कि वे इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट देकर रूस को अलग-थलग करने में मदद करें. समाचार एजेंसी यूएनआई के मुताबिक, भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने गुरुवार को कहा कि कोई भी स्टैंड लेने से पहले भारत ये देखेगा कि फाइनली इस प्रस्ताव में क्या रहता है. हमें बताया गया है कि इसके मसौदे में कुछ बदलाव होने हैं.

वोटिंग पर भारत असमंजस में

रूस का समर्थन करने या न करने के लेकर भारत असमंजस की स्थिति में है. अमेरिका और रूस दोनों से ही उसके सैन्य और कारोबारी रिश्ते हैं. अमेरिका के काफी पहले से सोवियत संघ का भारत से दोस्ताना संबंध रहा है. लेकिन इस संकट के समय पुतिन ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को अपने यहां बुलाया है. पिछले कुछ समय में दोनों के बीच सैन्य संबंध भी बढ़े हैं. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म होने के बाद जब पाकिस्तान यूएनएससी पहुंचा था तब चीन के दवाब में रूस ने भारत का सहयोग नहीं किया था. अगर यूक्रेन की बात करें तो वो भी पाकिस्तान और चीन को हथियार और टैंक सप्लाई करता रहा है. 1998 में पोकरण परमाणु परीक्षण के बाद जब दुनिया ने भारत पर प्रतिबंध लगाए थे तो यूक्रेन ने भी उसके पक्ष में मतदान किया था.

रूस करेगा वीटो, अमेरिका भी तैयार

रूस चू्ंकि यूएनएससी का परमानेंट मेंबर है और उसके पास किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार है. वह इस महीने के लिए यूएनएससी का अध्यक्ष भी है. ऐसे में इस प्रस्ताव के वीटो होने की संभावना गहरा गई है. लेकिन अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने इसके लिए भी तैयारी कर रखी है. वह यूएन महासभा के जरिए इस प्रस्ताव को पास करा सकते हैं. जहां वीटो का प्रयोग नहीं हो सकता।

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