पाकिस्तान में जन्मे लेकिन भारत का नाम रोशन किया .. जाने इन्होने भारत के लिए अपने देश को कहा टाटा -बाय बाय

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भारत की भूमि की बात ही कुछ अलग है। भारत की इस पवित्र भूमि में आने के बाद दूसरे देशों के लोग यहां दौड़े चले आये थे। इसके बाद वो लोग अपने देश वापस नहीं जाना चाहते और यहीं बसने का फैसला किया। ऐसे ही कुछ पाकिस्तानी सितारों है जो भारत आके बस गए और पाकिस्तान कोई अलविदा कह दिया। आज हम आपको उन पाकिस्तानियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत के लिए अपने देश को छोड़ दिया।

आइए जानते हैं हिंदुस्तान से प्यार करने वालों में किसका नाम है:

​दिलीप कुमार

बॉलीवुड दिग्गज अभिनेता दिलीप साहब का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था उनका असली नाम युसूफ खान था। उन्होंने बंटवारे से पहले ही बॉलीवुड में अपनी जगह बना ली थी। इसके बाद जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तब भी वह पेशावर नहीं लौटे और यही बसने का फैसला किया।

अदनान सामी

अदनान सामी एक मशहूर गायक हैं। आपको बतादे के अदनान सामी अपना करियर बनाने के लिए भारत आए थे। इसके बाद उन्होंने यहीं बसने का फैसला किया। और उन्होंने हाल ही में भारतीय नागरिकता ली है।

डॉ मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जन्म भी पाकिस्तान में हुआ था, जो बाद में भारत आए और भारत में ही बस गये। डॉ मनमोहन सिंह अपने काम के लिए दुनिया में जाने जाते हैं।

लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के संस्थापक और दिग्गज नेता हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में भी मदद की है। आडवाणी का जन्म भी पाकिस्तान के कराची में हुआ था, लेकिन विभाजन के बाद वे भारत में बस गए और यही पानी कर्मभूमि बना दी।

गुलाम अली खान

उस्ताद बड़े गुलाम अली खान गायकी की दुनिया में एक बड़ा नाम है, जिनके गाने आज भी लोगों को दीवाना कर देते है । यह बिश्व विख्यात गायक का जन्म भी पाकिस्तान के कसूर में हुआ थाऔर फिर ये भी भारत में आके बस गए.

बेगम बुध

आपको बतादे के बेगम पारा हिंदी सिनेमा की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। 1940 और 1950 के दशक के दौरान, उन्होंने अपने अभिनय से लोगो को कायल किया था और बॉलीवुड में अपना नाम बनाया। अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीतने वाली बेगम पारा पाकिस्तान के झेलम की रहने वाली थीं।

साहिर लुधियानवी

साहिर लुधियानवी एक लोकप्रिय गीतकार और कवि थे, जिनका असली नाम अब्दुल हयी साहिर था। कवि का जन्म लुधियाना में हुआ था, लेकिन 1943 में लाहौर चले गए। उन्होंने उर्दू पात्रों अदब-ए-लतीफ और शाहकर में संपादक के रूप में भी काम किया। इसके बाद वे द्विमासिक पत्रिका सवेरा से भी जुड़े। कहा जाता है कि वहां उन्होंने एक रचना लिखी, जिसे सरकार के खिलाफ माना गया। इसलिए पाकिस्तान सरकार की ओर से उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया था। 1949 में साहिर दिल्ली आए और उसके बाद वे मुंबई शिफ्ट हो गए।

जोगेंद्र नाथ मंडल

जोगेंद्र नाथ मंडल, पाकिस्तान के पहले श्रम और कानून मंत्री, अनुसूचित जातियों के नेता और मुस्लिम लीग के सहयोगी थे। जोगेंद्रनाथ मंडल पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे व्यवहार को देखकर भारत लौट आए।

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