नारियल का फल धार्मिक रूप से इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? नारियल को लेके यह हे पौराणिक कहानिया!

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नारियल का महत्त्व आदीकाल से रहा हे और आज भी नारियल के उपयोग हर पूजा विधि के साथ साथ हजारो जगह पे होता हे. जैसे के बीमारी से बचने के लिए नारियल पानी का उपयोग. खाने से लेके बाल की मजबूती के लिए नारियल तेल का उपयोग। भारत मे नारीयल केवल फल ही नहीं है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से इसे जीव रूप में माना जाता है।

नारियल मे भी मनुष्य की भांति दो आंखें और एक मुंह होता है। नारियल के मुंह में छेद करके ही जल निकाला जाता है। जिसे अमृत जल के रूप में माना जाता है। नारियल को शास्त्रों में श्रीफल कहा जाता है यानी नारियल देवी लक्ष्मी का फल है। इसलिए हर धार्मिक पूजा में नारियल का प्रयोग जरूरी होता है। भारत
हमारी किसी भी पूजा माँ उपयोग होने वाली हर सामग्री का अपना ही एक महत्व होता हैं। कुमकुम, अक्षत और फल और फूल सामान्य रूप से उपयोग किये जाते है।

हमे देखते हैं की नारियल एक ऐसी चीज़ हैं जो हमेशा हमारी पूजा सामग्री में प्रमुखः रूप से उपयोग की जाटी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं की नारियल को पूजा मैं इतना महत्व क्यों दिया जाता हैं ? चलिए हम आपको बताते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नारियल का फल हर पूजा को संपन्न बनाता है।  उसके बगैर हर पूजा अपूर्ण मानी जाती हैं। खास करके देवी पूजा। किसी भी देवी की पूजा में नारियल सबसे महत्वपूर्ण सामग्री हैं।

क्युकी नारियल माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए उसे श्रीफल भी कहा जाता हैं। जैसे हर नाम को श्री शब्द पूर्ण करता हैं वैसे ही नारियल हर पूजा को संपन्न करता हैं।नारियल का आकार मनुष्यकी सर के जैसा होता हैं इसीलिए भी पूर्व काल से इसे बलि के बदले उपयोग किया जाता हैं. महिलाएं क्यों नहीं तोड़ती हैं, नारियल? नारियल एक बीज फल है। स्त्री बीज रूप में ही अपनी संतान को जन्म देती है। इसलिए गर्भाधान संबंधित मनोकामना पूरी करने में नारियल को सक्षम माना गया है। यही कारण है कि महिलाओं के लिए नारियल को तोड़ना वर्जित माना जाता है। माना जाता है कि यदि स्त्री नारियल तोड़ती है तो उसकी संतान को कष्ट होता है।

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