इंसान और पशु आपस में प्रेम से रहते देखने को मिलते हैं। कहीं बार हमने देखा है की इंसान और कुत्तों के बीच में इतनी गहरी दोस्ती हो जाती है कि एक दूसरे से बिछड़ने का गम, दोनों में से एक भी सहन नहीं कर पाता। इसी तरीके से हमने कई बार देखा है कि अगर कोई बंदर की मौत हो जाती है तो उसका भी पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि जानवरों को अगर आप प्यार दो और अच्छे से बर्ताव करो तो वह आपकी तरफ वफादारी और उससे दुगना प्यार जरूर दिखाएगा। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कोसंबा में हुआ है. जहां पर कल्लू बकरे की मौत के बाद पूरे परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। अपने बेटे की तरह मानने वाले कल्लू के मालिक ने उसकी मृत्यु के बाद पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार भी किया साथ में शव यात्रा भी निकाली। मृत आत्मा की शांति के लिए ब्रह्मभोज भी किया गया और अ ब तेरवी भी रखी गई है।
जब बकरा छोटा था तब से ही उसके मालिक उसको प्यार से कल्लू बुलाते थे और उन दोनों में एक गहरी दोस्ती हो गई थी। दोनों ही एक दूसरे के इशरो और हव भाव से ही समझ जाते थे यह बात कर लेते थे। जानवरों के प्रति यह प्रेम की कहानी दूसरे लोगों को एक नई राह दिखाने के लिए और एक मिसाल देने के लिए काम करेगी। होमगार्ड की जॉब कर रहे राम प्रकाश यादव ने एक बकरा पाल रखा था बकरा कल्लू घर में सभी से काफी घुलमिल गया था बकरे को रामप्रसाद ने बेटे के जैसे पला था।कुछ नहीं ना बे नहीं बकरा बीमार हो गया उससे पूरे परिवार में चिंता का माहौल हो गया था।
रामप्रकाश भी उदास रहने लगे थे और अब 2 दिन पहले ही रामप्रसाद का बकरा यानी कल्लू की मौत हो गई है। उसके बाद ही राम प्रसाद ने तय किया कि अगर उन्होंने इस बकरे को अपने बेटे की तरह पाला है तो उसके अंतिम संस्कार भी विधि विधान से किए जाएंगे रामप्रसाद ने अपना सिर भी मुंडवाया था। बकायदा कल्लू बकरे की शव यात्रा भी निकाली गई थी अपने खेत मे रीति रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार भी किया गया था। राम प्रसाद ने बताया कि कल्लू कोई बकरा नहीं था वह मेरे बेटे के बराबर था कल्लू को 5 साल से पाल रहे थे। कल्लू की आत्मा की शांति के लिए उन्होंने तेरवी भी रखी हे। बताया की अगले जन्म में हम दोनों इंसान के रूप में मिले ऐसी प्रार्थना भी करूंगा।