नर्मदा की परिक्रमा करते हुए बिना जूतों के कड़ी धूप में चल रहे इस आदमी को देख जब उनसे उनका नाम पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम बताया सलीम इस्माइल पठान। आगे की कहानी जानने का उत्सुकता हुई और आगे की बातचीत करते हुए मालूम पड़ा कि जब वह पांचवी कक्षा में थे तब धूल के तूफान की वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. उनके घर वालों ने इसका इलाज करवाने के लिए बहुत कोशिश कि. सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक के धक्के खाये। मंदिर से लेकर मजार तक गए खूब कोशिश करने के बाद भी रोशनी वापस नहीं आई.
उन्होंने उनकी आंखों की रोशनी वापस आएगी ऐसी आशा छोड़ दी थी. सलीम महाराष्ट्र के मालेगांव नासिक के रहने वाले हैं आंखों की रोशनी से जूझ रहे सलीम को किसीने उनसे बताया कि आ महामंडलेश्वर से मिलना वह तुम्हारी रौशनी ला सकते हे. सलीम बताते हैं कि उस वक्त 2005 में शांतिगिरी महाराज से मिले। मगर उस वक्त उन्होंने मौन धारण किया हुआ था उन्होंने तब लिखकर बताया कि तुम क्यों आए हो? तब सलीम के परिवार ने बताया कि सलीम की आंखों की रोशनी पिछले 15 सालों से चली गई है महामंडलेश्वर शांति गिरी जी ने बताया कि तुम नर्मदा माता में श्रद्धा रखो नर्मदा माता की कृपा तुम पर बनी रहेगी। वह जल्द ही तुम्हारी आंखें वापस लौट आएगी।
उसके बाद शांतिगिरी महाराज त्रंबकेश्वर से एलोरा और एलोरा से ओम्कारेश्वर लेकर गए वहां कुछ हफ्तों तक नर्मदा माता के जप करते रहे. एक पूजा करवाई गई धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी वापस लौटने लगी. आगे बताते हैं कि उस दिन से वह शांतिगिरी महाराज और नर्मदा मैया के भक्त हो गए उसके बाद से उन्होंने तय किया की बाकि की जिंदगी वह नर्मदा माता की सेवा मे गुजरेगे.
सलीम की जब रोशनी वापस लौट आई तो वह गाव जाके अपने रिश्तेदारों परिवार से मिलने गए और उन्हें देखकर पूरा परिवार खुश हो गया. उसके बाद सलीम ने उन्हें बताया कि वह मुस्लिम धर्म छोड़कर हिन्दू बनना चाहते हैं मगर इस बात के लिए शांतिगिरी महाराज नही माने। तुम्हारी आंखे तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से मिली हे इसके लिए तुम्हे नाम,धर्म बदलने की जरुरत नही हे. हालही मे सलीम क नर्मदा मैया की परिक्रमा करते हुए देखा गया था और उस वक्त ही उनसे बातचीत करते हुए यह कहानी मीडिया के सामने आई थी.