धनतेरस से चार दिन तक भक्तगण कर सकेंगे मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन, माता के ख़ज़ाने का है खास्सा महत्त्व

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3 लोक मे खाधन्य की देवी यानी माता अन्नपूर्णा। माता अन्नपूर्णा का मंदिर वाराणसी मे काशी वीश्वानाथ मंदिर से थोडी दूरी पर हि बना हुआ है। ऐसा माना जाता हे की 3 लोक मे उगने वाला अनाज धान माता की अनुमति के बिना नही उगता। अगर माता रूढ जाए तो अमीर को भी रंक बना के भूखे पेट सोने पे मजबूर करदे ओर माता का आशीर्वाद मिल जाए तो गरीब को थाली मे भी 32 पकवान आ जाए। आप को बता दे के कुछ वक्त पहले ही यहा से १०० साल पहले चोरी की गई माता की मूर्ति को प्रधानमंत्री अमेरिका से भारत लाने मे कमियाब रहे है।

धन, धान्य, भोजन की देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन आगामी 2 नवम्बर को धनतेरस के दिन से अगले चार दिनों तक होगा। आपको बता दे की यह प्रतिमा सिर्फ दीवाली और धनतेरस के वक्त हि दर्शन के लिए लाया जाता है। माता के दर्शन के पूर्व महाआरती भी रखी ग ई हे उसके बाद खजाने की पूजा होगी। इसके बाद आम भक्तों के लिए माता का दरबार खोल दिया जाएगा हर साल की तरह इस साल भी हजारो भक्त पहुंचने की उम्मीद हे।

मंदिर के महंत शंकरपुरी ने बताया कि 2 नवम्बर को धनतेरस के दिन माता अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन अगले चार दिनों तक के लिए शुरू होने जा रहे हे। धनतेरस के दिन सुबह माता के स्वर्णमयी प्रतिमा के कपाट खोले जाएंगे और ख़ज़ाने की पूजा होगी माता की महाआरती भी की जाएगी होगी और महाप्रसाद भी बनाया जाएगा। इसके बाद सुबह 5 बजे से भक्त मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि साल में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक देवी के इस स्वरूप का दर्शन भक्तों को मिलता हे। दर्शन करने आने वालों को मां के प्रसाद के रूप में चावल, धान और सिक्का दिया जाता है।

महंत ने बताया कि यह सिक्का आप अपनी तिजोरी या दुकान या मंदिर मे रख सकते है,भक्तों के लिए यह सिक्का कुबेर से कम नहीं है। जो इस सिक्के को संभाल के र खता हे उसे देवी की कृपा बना रहती है और उसे धन-धान्य की कमी नहीं होती है। यही वजह है कि खजाने वाली इस देवी के दर्शन और खजाने के प्रसाद के लिए देश भर से भक् वाराणसी आते हैं। सुबह से शाम तक मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। अन्य दिनों में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतीकात्मक प्रतिमा की पूजा होती है, मगर दीवाली के वक्त माता की विशेष प्रतिमा लाई जाती है.

 

 

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