देवराहा बाबा भाग 2, बाबा ने जाने कैसे भारत की राजनीति बदल दी और फिर ऐसे त्यागे अपने प्राण।

Devotional Political

1988 की बात है राजीव गांधी को देवराहा बाबा के दर्शन के लिए आना था। अधिकारियों में अफरा-तफरी मची हुई थी अधिकारियों देवराहा बाबा के दरबार के आसपास साफ-सफाई एवं हेलीपैड की तैयारी में जुट गए थे। एक अधिकारी ने देवराहा बाबा को बोला कि यह पेड़ काटना पड़ेगा नही तो हेलीकॉप्टर उतर नहीं पाएगा। जैसा कि हम लोग जानते हैं देवराहा बाबा प्रकृति प्रेमी थे और देवराहा बाबा जानवरों तथा पशु पक्षी पेड़ पौधों की भाषा भी समझते थे। देवराहा बाबा ने अधिकारियों को बताया कि आपका पीएम तो 1 दिन आकर चला जाएगा मगर जब यह वृक्ष मुझसे पूछेगा कि मुझे क्यों काट दिया गया तो मैं उसको क्या जवाब दूंगा। देवरा बाबा ने कहा कि यह वृक्ष किसी भी हालत में नहीं कटेगा। अधिकारियों में हड़कंप मच गया अधिकारी चिंता मैं असमंजस में थे और देवरा बाबा को पेड़ काटने के लिए समझा रहे थे। देवराहा बाबा ने अधिकारियों को बताया कि आप चिंता मत करें इसका समाधान निकल जाएगा अगर पेड़ काटना इतना ही जरूरी है तो में आपके पीएम को यहां आना ही रुकवा देता हूं। इतना कहकर देवराहा बाबा समाधि में चले गए।

थोड़ी देर में पीएम ऑफिस से अधिकारियों पर फोन आया कि राजीव जी का किसी निजी वजह से वहां पर आना रद्द हो गया है। अधिकारी भी सोच में पड़ गए कि कुछ मिनट पहले ही तो देवराहा बाबा ने बोला था की में यह दौरा ही रद्द करा देता हूं और पीएम ऑफिस से इसको रद्द करने के लिए फोन भी आ गया। यह बात अधिकारी और आसपास के लोगों के लिए एक चमत्कार से कम नहीं था। कि ऐसी कौन सी वजह ने पीएम का दौरा रद्द कर दिया यह कहीं देवराहा बाबा ने ही तो पीएम को किसी काम में व्यस्त तो नही कर दिया। देवराहा बाबा ध्यान साधना एवं सामाजिक और हठयोग की 10 मुद्राओं में पारंगत थे। देवराहा बाबा की शरण में आने वाले विशेष लोगों में जवाहरलाल नेहरू लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे नामी लोग भी थे। एक ऐसी कहानी जिसमें इंदिरा गांधी को रातों-रात एक बड़ी जीत दिला दी साथ ही में कांग्रेस का चिन्ह जो गाय के बछड़े से बदलकर आशीर्वाद देता हाथ बन गया। आइए जानते हैं की केसे इंदिरा गांधी देवरहा बाबा की शरण में गई और प्रचंड जीत हासिल की। इंदिरा गांधी की सरकार में देश में आपातकाल लगा।

आपातकाल के बाद जो चुनाव हुआ उसमे इंदिरा गांधी भूरी तरह से हार गई। टूटी हुई इंदिरा गांधी देवरहा बाबा के आशीर्वाद लेने के लिए देवराहा बाबा के पास देवराहा बाबा ने अपने हाथों से इंदिरा गांधी को आशीर्वाद दिया और इंदिरा गांधी से बोला की आज से चुनाव चिन्ह पंजा रखो। इंदिरा गांधी ने तुरंत ही चुनाव चिन्ह बदल दिया और उसके बाद होने वाले चुनाव में इंदिरा गांधी को प्रचंड जीत हासिल हुई। यह भी मान्यता है कि इंदिरा गांधी को पंजे का चुनाव चिन्ह राम कोटी पीठ के शंकराचार्य स्वामी ने दिया था। देवराहा बाबा का आशीर्वाद देने का ढंग भी अनूठा था मचान पर बैठते थे और जो भी मचान के नीचे आता था उसके सर पर पांव रख के आशीर्वाद देते थे और वह धन्य हो जाता था। वह कांटे विहीन बबूल के पेड़ के नीचे बैठते थे।

माना जाता है कि अपने पूरे जीवन काल के दरमियान देवराहा बाबा ने कभी अन्न ग्रहण नहीं करते थे, पानी फल का जूस प्रवाही पर ही जिंदा रहते थे।जॉर्ज पंचम जब इंग्लैंड से भारत आ रहा था तो उसने किसी से पूछा कि क्या आज भी भारत में तपस्वी योगी रहते हैं किसी ने जॉर्ज पंचम को देवराहा बाबा का पता दिया। माना जाता है कि जॉर्ज पंचम जब भारत आए तो वह सबसे पहले देवरा बाबा को ढूंढते हुए देवरा बाबा के आश्रम में आए। प्रिंस फिलिप बी देवराहा बाबा को बहुत मानते हैं जॉर्ज पंचम की यात्रा जब हुई तब इंग्लैंड में प्रथम विश्वयुद्ध मंडरा रहा था वह भारत के लोगों को इंग्लैंड के साथ मिलकर दुश्मन देशों के साथ के खिलाफ लड़ने के लिए मनाने के लिए आए थे। माना जाता है कि बाबा का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज था बाबा कितने भी भीड़ में एक बार मिले तो अगर वही इंसान से वह दूसरी बार मिलते हैं तो वह पुरानी बात फिर से दोहरा देते थे।वराहा बाबा का पूरा जीवन 4 खंभों पे टिकी मचान पे ही गुजारा। माना जाता है कि योगिनी एकादशी के दिन बाबा ने अपना प्राण त्यागने का निश्चय किया। बाबा का तापमान एकाएक बड़ने लगा भक्तजनों ने डॉक्टर बुलाया डॉक्टर जब उनका तापमान वहां पर आए थे तो माना जाता है कि थर्मामीटर तक टूट गया। उसके बाद आकाश में काले बादल छाने शुरू हो गए आंधी तूफान आने लगे, जमुना उफान मरने लगी और यमुना नदी बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए आ रही हो ऐसे बाबा की मचान तक पहुंच गई उसके कुछ मिनटों बाद बाबा ने अपने देह त्याग किए।ऐसे महान सिद्ध संत को कोटि कोटि नमन। जय देवरहा बाबा ।।

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