हनुमानजी आजभी जिन्दा है, कई बार हनुमानजी के जिन्दा होने के प्रमाण मिलते आये है| ऐसा भी माना जाता है की, जब जब राम कथा होती है, तब तब भगवन हनुमानजी वहापर मौजूद होते है| एसा माना जाता है की, जबतक इस दुनिया में राम कथा होती रहेगी तब तक इस दुनिया का अंत नहीं होगा और हनुमानजी भी पृथ्वी पर ही रहेंगे|
हनुमानजी ने कई युध्ध करे है| सभी में हनुमानजी युध्ध जीते भी है| लंका में जाकर हनुमानजी ने पूरी लंका को आग लगा दी थी| ऐसे तो कई बड़े बड़े कारनामे भगवन हनुमानजी ने करे है| लेकिन क्या आपको मालुम है की हनुमानजी को एक युध्ध में हार का सामना करना पड़ा था? आपको मालुम नहीं होगा| आपको हम इसके बारेमे बताते है|
एक बार मछंदर नाथ की इच्छा हुई की, पृथ्वी पर भगवन राम द्वारा बनाये गए रामसेतु का दर्शन करे| मछंदर नाथ पृत्वी पर पहुचे जहा पर रामसेतु बना था| वहापर आकर उन्होंने नहाने की सोची, तब हनुमानजी भी वहा पर पहुचे और मछंदर नाथ की परीक्षा लेने की सोची और हनुमान जी ने एक बूढ़े व्यक्ति का रूप ले लिए था|
वहा पर अचानक मायावी बारिश होने लगी, जिससे बचने के लिए उस बूढ़े वानर ने चट्टान को खोदकर एक गुफा बनाना चाह रहा था| यह देख मछंदर नाथ बोले की बूढ़े वानर तुम इस चट्टान हो तोड़ नहीं पाओगे| हनुमानजी ने उनसे उनका नाम पूछा तो मछंदर नाथ ने कहा की वह एक सिध्ध और शक्तिशाली पुरुष है, उनके लिए कोई कार्य असंभव नहीं है|
तब बूढ़े वानर ने कहा की, मेने हनुमानजी की पूजा और आराधना करी है, हनुमानजी ने प्रसन्न हो कर मुझे उनकी 1 प्रतिशत शक्ति वरदान में दी है| अगर तुम मुझे हरदो तो में तुम्हे इस दुनिया का शक्तिशाली इंसान मान लूँगा| तब मछंदर नाथ युध्ध करने के लिए तैयार हो गए थे|
हनुमानजी के एक बड़ा पथ्थर उठाया और मछंदर नाथ के तरफ फेंका, इस पथ्थर से पचने के लिए मछंदर नाथ ने एक मंत्र बोला जिससे वह पथ्थर टूटकर बिखर गया| उसके बाद मछंदर नाथ ने हाथ में पानी लेकर मंत्रोचारण करके उस पानी को हनुमानजी पर फेंका, जिससे हनुमानजी बहोत कमजोर हो गए|
हनुमानजी ने एक पथ्थर को फिरसे उठाने की कोशिश करी लेकिन वह इतने कमजोर हो गए थे की पथ्थर उठा न शके| तभी वहा पर भगवन पवन देव पहुच जाते है और हनुमानजी को अपने असली रूप में आने का कहते है और मछंदर नाथ से माफ़ी मांगने का कहते है| हनुमान जी मछंदर नाथ से माफ़ी मांगते है और दोनों गले मिलते है|
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