जयवन तोप: जो आज भी मौजूद हे जयपुर के किल्ले में, 35 KM तक करता था वार, जहा गिरता इसका गोला बन जाता तालाब

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इस तोप को जयपुर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. इसका निर्माण कारखानों में अलग अलग हिस्सों में किया गया था और उसे जोड़ के एक तोप की शक्ल दी थी. इस टॉप को खींच पाना अकेले हाथी के लिए भी मुश्किल था. इसके विशाल आकर की वजह से इसको युद्ध के मैदान में काम में नहीं लिया गया और किल्ले के अंदर ही रखा गया.

आपने संग्रहालयों में रखे हथियारों को तो देखा ही होगा, क्या आपने कभी ऐसा कुछ देखा है जिसे आप 400 वर्षों में केवल एक बार चलाते हैं। और जहां उसका गोला गिरा, वह झील बन गया। इसे दुनिया की सबसे बड़ी तोप का दर्जा प्राप्त है, का नाम जयवन है, जिसे जयपुर के किले में रखा गया है। जो दुनिया की सबसे बड़ी तोप में से एक है।

एक दूसरे पर आधिपत्य बनाए रखने के लिए प्राचीन काल से ही युद्ध होते रहे हैं, सभी घातक हथियारों से दुश्मन को हराने की कोशिश की जाती थी. तोप को उस समय का सबसे घातक हथियार माना जाता था। तोपों ने अक्सर युद्ध की तस्वीर और परिणाम को पूरी तरह से बदल दिया। आज भी सभी देश युद्ध में तोपों का प्रयोग करते हे.

तोप जयपुर किले में स्थापित है, और राजा जय सिंह  द्वारा बनाया गया था, जो जयपुर किले के राजा भी थे। तोप का वजन करीब 50 टन है। इस तोप में करीब 50 किलो वजन के गोले का इस्तेमाल किया जाता है। दशहरे के दिन इस तोप की पूजा की जाती है। एक बार जब तोप का परीक्षण किया गया, तो लगभग 35 किमी दूर चाकुस नामक शहर में गिरते ही लोग चौंक गए। जिस जगह इसका गोला गिरा वह झील बन गई। इस से आप अंदाजा लगा सकते हो की इस टॉप की ताकत क्या रही होगी.

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