गोरखनाथ मंदिर की सुरक्षा में तैनात पीएसी के जवानों पर मुर्तजा अब्बासी द्वारा जानलेवा हमले की जांच में एक बड़ी साजिश की परतें लगातार खुल रही हैं. शुरुआती जांच में यह घटना एक युवक की सनक लग रही थी, लेकिन मामला सीएम योगी के मठ-मंदिर से जुड़ा था, लिहाज़ा पुलिस कोई कोताही बरतना नहीं चाहती थी।
अगले ही दिन एटीएस और एसटीएफ के एडीजी भी गोरखपुर पहुंचे और मुर्तजा अब्बासी से पूछताछ के बाद सनसनीखेज खुलासे हुए. मिली जानकारी के मुताबिक मुर्तजा अब्बासी पहले से ही एटीएस के रडार पर था। दो अप्रैल को एटीएस के अधिकारी सादी वर्दी में उसके घर भी पहुंचे थे. जिसकी भनक लगते ही दूसरे दिन मुर्तजा ने लोन वुल्फ स्ट्रेटेजी के तहत हमला बोल दिया।
खबरों के मुताबिक मुर्तजा अब्बासी पहले से ही एटीएस के रडार पर था। उस पर एजेंसियों की निगरानी जारी थी। 2 अप्रैल को अचानक मुर्तजा की सारी ऑनलाइन एक्टिविटी बंद हो गई, जिसके बाद 2 अप्रैल को दो लोग बैंक कर्मचारी बनकर मुर्तजा के घर पहुंचे और उसके बाबत पूछताछ की। खुद को बैंक कर्मचारी बताकर मुर्तजा पर 25 लाख रुपये के लोन की बात कही, लेकिन जब मुर्तजा के परिवार वालों ने सवाल जवाब किए। उनकी आईडी और बैंक लोन की डिटेल मांगी तो दोनों वहां से खिसक लिए। जानकारी ये भी मिल रही है कि मुर्तजा को शक हो गया था कि एजेंसियों की नज़र उस पर है इसलिए 2 अप्रैल की सुबह वो नेपाल निकल गया।
नेपाल में मुर्तजा ने किससे मुलाकात की, मुलाकात में क्या बात हुई और कैसे अगले ही दिन मुर्तजा गोरखपुर आया और वारदात को अंजाम दिया। इन सब सवालों के जवाब एजेंसियां भी तलाश रही है।