गेहु के लिए कभी अमेरीका ने भिखारियों का मुल्क बताया था! आज पूरी दुनिया गेहूं के लिए भारत पर नजरें टिकाए हुई

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हाल ही मे भारत ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हे, यानी की भारत इस साल विदेशो मे गेहूं नही बेचेगा। आपको batade ki puri duniya मे सबसे ज्यादा गेहूं यूक्रेन मे पैदा होता है या यूक्रेन उसकी सबसे ज्यादा निर्यात करता हे। युद्ध के चलते यूक्रेन गेहूं को निर्यात करने मे असमर्थ रहा हे। ऐसे मे पूरी दुनिया मे गेहूं को कमी पैदा हुई है और इसी वजह से गेहूं की कीमत मे भारी बड़ोतरी देखने को मिली हे।

ऐसे मे पूरी दुनिया गेहूं पाने के लिए भारत पे नजरे घडाके बैठा हे। मगर एक वक्त ऐसा भी था जब भारत मे गेहूं कम पाया जाता था और विदेशो से आयात किया जाता था। आज भारत गेहूं के मामले मे स्वावलंबी या आत्मनिर्भर बना हे। जहा छोटे छोटे देश मे गेहूं की कमी ही वही भारत मे 150 करोड लोग होते हुए भी गेहूं मिल रहा है इसके लिए किसानो को महेनत को भारत के हर सदस्य को सराहना चाहिए। साथ ही भारत के प्रधानमंत्री रह चुके शास्त्री जी कि मेहनत और कोशिश को भी नकारा नही जा सकता।

भारत ने देश के लोगो को आगे रखते हुए विदेशो मे निर्यात पर रोक लगाई हे, ऐसे मे अमेरिका ने भारत को गलत समय पर गलत निर्णय लेने के लिए आवाज उठाई है। आज गेहूं न देने पर भारत के ऊपर आंखे लाल करने वाला अमेरिका कभी भारत का मजाक बनाया करता था। भारत गेहूं के लिए अमेरिका पर निर्भर था। आज भारत गेहूं के उत्पादन मे दुनिया का दूसरा सबसे बडा देश हे। 1965 मे पाकिस्तान के साथ जंग के वक्त अमेरिका ने भारत को गेहूं देने के लिए मना कर दिया था।

शास्त्री जी ने ऐसे वक्त मे जय जवान जय किसान का नारा दिया, तो दूसरी तरफ जवान भी फतह करके आए और किसानो ने भी देश को आत्मनिर्भर बना दिया। भारत की रोक की वजह से कही देश नाराज चल रहे हे दूसरी तरफ अगर भारत गेहूं विदेशो मे देता है तो भारत मे गेहूं की कीमत काफी बढ सकती हे। जिससे महंगाई और बढ सकती हे ऐसे मे भारत के लिए घेहु पर रोक लगाना ही अखरी विकल्प था। किसानो की मेहनत को सो सलाम।

 

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