गायत्री देवी: भारत की सबसे सुंदर, स्वतंत्र सोच वाली महारानी। इलेक्शन लड़ी तो बन गया था वर्ल्ड रिकॉर्ड, एमरजेंसी में महीनो तक रही जेल में जाने उनकी अनसुनी कहानी 

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आज म ऐसी महारानी के बारे में बात करेंगे जो रहे हे जो अपनी वीरता से ज्यादा अपनी खूबसूरती,खुली सोच और राजनीतिक पकड़ के लिए काफी मशहूर थी, लोग उनको राजमाता के नाम से सम्बोधित करते हे। जयपुर राजघराने की महारानी गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को लंदन में हुआ। उनके पिता महाराजा जीतेन्द्र नारायण कूच बिहार के राजा थे, और उनकी मां बड़ौदा की राजकुमारी थी।

गायत्री देवी की शुरुआती पढ़ाई लंदन के प्राइवेट स्कूल में हुई थी, उसके बाद स्विजरलैंड में शिक्षा प्राप्त की. बचपन से ही गायत्री देवी को घुड़सवारी और शिकार करने का बहुत शौक था। जब उन्होंने पहली बार आदमखोर चीते का शिकार किया तब उनकी उम्र महज 12 वर्ष की थी। गायत्री देवी बचपन से ही अपने आप को पुरुषो से कम नहीं समझती थी. जो भी मन में आता वह खुले दिल से करती थी. वह पोलों की एक बहुत ही शानदार खिलाडी भी थी.

गायत्री देवी का बचपन लंदन मे गुजरने की वजह से, वह भारतीय सोच के साथ मॉडर्न सोच भी रखती थी. उन्हें गाड़ियों का भी बहुत शौक था भारत में पहली मर्सिडीज w126  500 SCLलाने का श्रेय उन्हीं को दिया जाता है। इसके अलावा उनके पास ढेर सारी महंगी गाड़ियों का कलेक्शन भी था। मर्सिडीज, rolls-royce जैसी गाड़ियों के साथ महारानी गायत्री देवी के पास एक एयरक्राफ्ट भी था। महाराजा सवाई मानसिंह से उनकी पहली मुलाकात पोलो ग्राउंड में हुई और 9 मई 1940 में 21 साल की उम्र में सवाई मानसिंह द्वितीय के साथ महारानी गायत्री देवी का विवाह हुआ। इससे वे जयपुर की महारानी बन गई। आपको बता दें कि महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय जयपुर राज्य के अंतिम शासक महाराज थे।

15 अक्टूबर 1950 को महारानी गायत्री देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया। जिसका नाम राज कुमार जगत सिंह रखा गया। महारानी गायत्री देवी प्रजालाक्षी कामो के लिए जनि जाती थी उन्होंने दो स्कूल बनवाये थे जहा पे बच्चो के साथ साथ बच्चियों के शिक्षण पे भी भर दिया गया था. गायत्री देवी स्वतंत्र सोच वाली होने से वह जयपुर की प्रजा से मिलती रहती थी, जहा उनको सुझाव मिलता या उनको लगता यह काम  प्राजलक्षी हे तो वह जरूर करती थी. ब्लू पॉटरी की कला जयपुर से ख़त्म हो गई  गायत्री देवी ने पुन जीवित किया, उनके ऐसे ही कामो के लिए के लिए लोग उनको राज माता के नाम से भी जानने लगे.

आजादी के बाद राजेस्तान और जयपुर के विकास के लिए राजनीति में  सक्रिय हुई। उन्होंने स्वतंत्रपार्टी से इलेक्शन लडा, 1967 से 1971 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने देशभर में जयपुर क्षेत्र से सबसे ज्यादा बहुमत से जीत हासिल की और वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन गया। वर्ष 1965 में उनकी मुलाकात लाल बहादुर शास्त्री जी से हुई जिन्होंने उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का न्योता दिया। लेकिन महारानी ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया, उनकी लोक चाहना देख इंदिरा गाँधी भी उनको अपना प्रतिबन्धी समझती थी।

इंदिरा गाँधी  के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी के दौरान गायत्री देवी को 5 महीने जेल में रहना पड़ा था उसी समय उनको पेट की समस्या शुरू हो गई थी जेल से निकलने के बाद भी उनको पेट की समस्या में राहत नहीं मिली थी और उनको शारीरिक समस्याए बढने लगी। जिसके चलते उनको लंदन के किंग एडवर्ड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इलाज चल रहा था उसी दौरान उन्होंने जयपुर वापस आने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद उन्हें  ऐर एंबुलेंस से जयपुर वापस लाया गया। गायत्री देवी का 29 जुलाई 2009 को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी आत्मकथा “ए प्रिंसेस रिमेंबर “और “ए गवर्नमेंट गेट वे ” की किताबें भी छपी। अर्जेंटीना में आज भी गायत्री देवी के पोलो के खेल को यद् कर के “महारानी पोलो क्लब” का दिन मनाया जाता है

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