कोरोना के कारण घर में बंद बच्चे ने खेला ऐसा खेल की चकरा गई नोएडा और गाजियाबाद की पुलिस

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स्मार्टफोन आजाने से कुछ न कुछ किस्से सामने आते ही रहते है. स्मार्टफ़ोन बच्चो के हाथ में आजाये तो बात की कुछ अलग हो जाती है. आजकल के बच्चे मोबाईल में वीडियो देख के कुछ न कुछ शेतानिया तो करते ही रहते है. लेकिन कई बार इसी छोटी छोटी शेतानिया बड़ी दिक्कत में बदल जाती है पता नहीं चलता. पांचवी में पढने वाले बच्चे ने स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल करके जो शेतानी की है उससे आप अपना माथा पकड़ लेंगे.

दरअसल बात दिल्ली से सटे गाजियाबाद की है. पांचवी में पढ़ रहे बच्चे ने अपने दादा दादी के मोबाइल से अपने माँ बाप और पड़ोसियों को धमकी भरे मेसेज भेज दिए. धमकी भरे मेसेज आने से बच्चे के माता पिता चिंता में पद गए और आनन फानन ने पालिक रिपोर्ट करवा आये. उन्होंने एसएसपी आनंद पाठक से सिकायत कीथी. यह मामला सायबर क्राइम से जुडा हुआ था इस लिए मामला साइबर सेल में ट्रांसफर किया गया.

मेसेज में क्या और क्यों लिखा था? 10 साल का बच्चा कोरोना की वजह से घर में रह रह कर और ऑनलाइन क्लासिस के बोर हो कर अपने गाव उत्तराखंड के अल्मोड़ा जाना चाहता था. वहा जा कर बच्चो के साथ खेलना चाहता था. लेकिन ऑनलाइन क्लासिस की वजह से उसके माँ बाप जाने नहीं देते थे. परेशां होकर बच्चे ने अपने दादा दादी के फ़ोन मेसे अपने मा बाप और पदोशियो को मेसेज किया की यदि अपने बच्चे को गाव नहीं बेजा तो वह उसे चाट पेसे निचे फेंककर उसकी हत्या कर देंगे.

कैसे करता था मेसेज? बच्चे के माता पिता नोकरी करते है और बच्चा घर पर अपने दादा दादी के साथ थी रहता है. जब सब काम पर चले जाते थे तो वह चुपकेसे अपने दादा दादी का फोन लेकर टॉयलेट में गुस जाता था. और वहासे मेसेज कर देता था. मेसेज के साथ वह कॉल भी करता था लेकिन वह उसमे कुछ बोलता नहीं था. कॉल करके काट देता था. मेसेज और कॉल करने के बाद उस मेसेज और कॉल हिस्ट्री को डिलीट कर देता था.

कैसे पकड़ा गया बच्चा? साइबर सेल सेल टीम के प्रभारी सुमित कुमार शिकायत मिलने पर वाकिये पर पहुचे थे. उसके बाद उन्होंने सभी के फ़ोन जब्त कर लिए थे लेकिन फ़ोन में कुछ नहीं मिलने पर फ़ोन वापस लोटा दिए थे. उन्होंने पहले भी ऐसे वाकिये के पर्दाफास किया था. इसे वाकियो में अक्सर बच्चो की शेतानिया ही निकलती है. इसलिए उनको पहले सही बच्चे पर शक था. फिर से उन्होंने परिवार के फ़ोन 2 दिन के लिए जब्त कर लिए. 2 दिन तक उनको कोई मेसेज या कॉल नहीं आया तो उनका शक यकीं में बदल गया. और बच्चे से पूछताछ करी. पूछताछ के दोरान बच्चे ने सच को स्वीकार लिया. बच्चे को काउंसेलिंग देकर आगेसे इसी गलती न करनेकी हिदायत दी गई है.

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