कारगिल युद्ध में पिता ने पैर गंवाया, बेटा कडी महेनत से बना IAS, इंटरव्यू मे तीसरी बार मिलीकामयाबी

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कोशिश करने वालो की हार नही होती यह बात को प्रीतम ने सच साबित कर दिया. कडी महेनत के बाद भी दो बार इंटरव्यू मे असफल रहे मगर उन्होने हर नहीं मणि लगातार प्रयास करते रहे और आखिर मे आईएएस बने. उनके पिता भी देश की रक्षा करते हुए कारगिल युद्ध मे पैर गवा चुके हे. आज उनके पुत्र ने उनका सारा दर्द दूर कर सीना गर्व से चौडा हो गया.

फौज  मे पिता के घायल होने से परिवार पर आर्थिक संकट आया मगर उनके पिता ने भी तय किया की वह अपने बच्चो को अच्छे से अच्छी शिक्षा देगे। उनके पुत्र भी उनकी उम्मीदों पर खडे उतरे।  उनके बेटे सीकर के प्रीतम जाखड ने UPSC मे ऑल इंडिया 9वी रैंक हासिल की हे. प्रीतम का कहना हे की यह सफर आसान नही था एक वक्त ऐसा भी आया था जब दो बार रिजेक्ट होने के बाद उन्होने प्राइवेट नौकरी करने का तय किया. मगर पिता को उनपे भरोसा था उन्होंने और महेनत करने की सलाह दी और आज कामियाबी सामने हे.

प्रीतम बेहद ही छोटे से गांव से आते हे, नीमकाथाना के कोटड़ा गांव के रहने वाले हे प्रीतम। प्रीतम 2 बार पहले भी इंटरव्यू तक पोहचे थे तो हिम्मत नहीं हार और तय किया इंटरव्यू तक पहुंच गया तो एक दिन सिलेक्शन भी जरूर होगा। यही सोच ने उन्हे कामियाब बनाया। इंटरव्यू के सवाल भी आसान नही रहे उन्होंने बताया की ज्यादातर प्रष्न कानून और हॉबी के बारे मे पूछे गए.

प्रीतम बताते हे की उनके पिता की बहादुरी देख उन्हे देश के लिए कुछ कर गुजरने की देश की सेवा करने का सपना बनाया. पिता ने पेअर गवाया फिर भी उन्होंने पुरे परिवार को संभल के रखा साडी जिम्मेदारी बडी ही खूबी से निभाई जिस वजह से प्रीतम भी मन खोल के महेनत कर सके. प्रीतम की पढाई कोटपूतली के राजस्थान स्कूल से पूरी की। आईआईटी रोपड (पंजाब) से कॉलेज पूरा किया। दो साल तक उन्होंने जम के तयारी की. तैयारी के लिए वह दिल्ली रहे और फिर घर आके महामारी के वक्त डेढ साल तक घर से तैयारी की. उनका कहना हे कडी महेनत अउ सकारात्मक सोच किसी भी शिखर को पाने के लिए जरुरी हे.

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