कभी रहे अंग्रेजी के लेक्चरर, आज कड़ी धूप में हंसते चेहरे के साथ ऑटो चलाते है. इनकी कहानी सुन आपकी आंखों में भी पानी भरजाएगा

Informational News

वह कहते हैं ना नसीब राजा को कंगाल और कंगाल को राजा बना सकता है, कुछ इसी तरह का किस्सा आज देखने को मिला है. ७४ की उम्र मे अंग्रेजी के लेक्चरर कड़ी धूप में ऑटो चलाने के लिए मजबूर हे. किसी भी शख्स को उसके कपड़े उसके पास पैसे के आधार पर उसका आकलन करना बेहद गलत बात है. यह कहानी भी कुछ इसी बात को सिद्ध करती है. बेंगलुरु की एक रिसर्चर ने यह पूरा वाकया लोगों के साथ साझा कीया और बुजुर्ग अंग्रेजी के लेक्चरर की यह कहानी लोगो के सामने राखी.

बेंगलुरु की रिसर्च ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब वह पहली बार ऑटो ड्राइवर से मिली तब उनको सामने से फराटे दार अंग्रेजी में जवाब मिला पहले विश्वास नही हुआ और उसके बाद जो भी घटना हुई वह निकिता ने एक पोस्ट शेयर करते हुए सबके सामने रखी. निकिता बताती हे की वह हाईवे पर थी और उसके बीच मे उनको एक जगह से दूसरी जगह जाना था मगर कैब बुक करवाने में असमर्थ हो रही थी. ऐसे में उनकी मदद को एक ऑटो चालक आया ऑटो चालक ने उनसे पूछा क्या आपको लिफ्ट की जरूरत है या कोई मदद चाहिए।

तब निकिता ने बताया कि उनको शहर के दूसरे कोने में स्थित उनकी ऑफिस तक जाना है. मगर क्या आप वहा तक जायेगे? ऑटो ड्राइवर ने बताया बिल्कुल आप आइए जब निकिता ने इंग्लिश में जवाब दिया तो ऑटो ड्राइवर ने भी इसका जवाब अंग्रेजी में दिया उन्होंने बताया कि ‘कृपया अंदर आइए में और आपको जितने पैसे देने हैं आप दे सकती है’ निकिता यह जवाब सुन के शुरुआत में हैरान रह गई और उसने उत्सुकता से बाटे आगे बढने लगी. 1 घंटे का रास्ता होने की वजह से बीच बातचीत चलती रही निकिता ने उनसे पूछा कि आप इतनी अच्छी अंग्रेजी कैसे बोलते हैं तब ऑटो ड्राइवर ने जवाब दिया कि वह ऑटो ड्राइवर थे उससे पहले एक लेक्चरर थे उनका नाम पटबी रमन है. उन्होंने बताया कि मुंबई की एक प्राइवेट कॉलेज मे वह अंग्रेजी के लेक्चरर हुआ करते थे.

रमन ने बताया कि आप शायद अब मुझसे पूछेगी कि अगर आप लेक्चरर हो तो ऑटो क्यों चलाते हो? निकिता ने भी हा मे जवाब दिया कि हा मे यही प्रश्न पूछने वाली थी और उसके बाद बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने जीवन के राज धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया और कहा कि वह 15 सालों से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं. उससे पहले वह मुंबई के कॉलेज में अंग्रेजी सिखाते थे उनकी जाति के वजह से उनको कर्नाटक में नौकरी नहीं मिल सकी थी. इसलिए वह मुंबई गए थे और जहां उनको नौकरी मिली 60 साल की आयु में वह रिटायर हो गए. निजी कॉलेज होने की वजह से पेंशन के हकदार नही थे. उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी पत्नी का ध्यान रखने के लिए ऑटो चलाएगे और तब से ही वह ऑटो चलाते है, और अपनी पत्नी का भी ध्यान रखते है.

उन्होंने बताया कि शिक्षकों को अधिक वेतन नहीं मिलता उनकी नौकरी एक प्राइवेट प्रोफेसर की थी, बचा हुआ पैसा भी बीमारी के वक्त खर्च हो गया था. ऐसे मे ऑटो चला कर अपना और अपनी पत्नी का का खर्च निकल जाये उतना कमा लेते हे, रोज के 700 से 1000 रुपया कमा लेते है. उन्होंने आगे बताया कि उनका और उनकी पत्नी के बीच में आज भी संबंध बहुत ही प्यारा है, वह आज भी घूमने जाते हैं मजाक मस्ती करते हैं और हर सुख दुख मे एक दूसरे का साथ निभाते हे. जब वह रिक्शा चलाते हैं तो उनकी पत्नी पूरे घर का ध्यान भी रखती है.

वह 1BHK फ्लैट में रहते है, जिसका भाडा ₹12000 है उनका बेटा रेंट देने में मदद करता है. मगर वह किसी के ऊपर निर्भर नहीं रहना चाहते दोनों पति पत्नी ने तय किया कि जब तक अपनी दूसरे को संभाल सके तब तक ऐसे ही आगे बढ़ना है. उन्होंने हंसकर बताया कि वह आज अपनी ऑटो के राजा है जब वह मन चाहते हैं तो ऑटो निकालते है, जब उनका मन करता है वह अपना काम रोक देते है. निकिता ने आगे लिखा कि उनसे मिलकर पता चला कि लाइफ आपको कहीं पर भी ले जा सकती है. लाइव को लेकर उनके मन मे एक भी शिकायत नही थी, न ही अफसोस था. ऐसे नायको से बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *