पिछले कुछ सालों में हमने कृषि क्षेत्र मे बहुत ही ज्यादा आधुनिकरण देखा है। आज छोटे किसान भी अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं तो वह लाखों मे कमा रहे हैं। वैज्ञानिकों द्वारा पोली हाउस, ग्रीन हाउस, ऑर्गेनिक फार्मिंग, मोती की फार्मिंग हो या फिर नई प्रजाति के पौधे विकसित करना हो या विदेशी पौधों को इंडिया में उगाना हो। चाहे वह ब्रोकली हो, ड्रैगन फ्रूट हो, या फीर कीवी हो। इसके अलावा भारतीय वैज्ञानिक हाइब्रिड खेती पर भी भार देते है, जिसकी वजह से कम से कम दवाई में अच्छे से अच्छ पैदाइश लिया जा सके और उसमे बीमारिया भी कम से कम आय।
एक ही पौधे पे बेंगन और टमाटर:
हम देख सकते हैं कि आज से 10 साल पहले यह देखकर में जितनी उपज ली जाती थी उससे आज दोगुनी से 3 गुनी ऊपर ले जा रही है। और उसका पीछे की वजह हाइब्रिड बीज है जो कि भारी उत्पादन देते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ज्ञानी आईसीएआर ने टमाटर और बैंगन के शंकर यादव हाइब्रिड प्रजाति विकसित की है। इस प्रजाति का नाम वैज्ञानिक ने ब्रिमतो दिया हे। BRIMATO यानी बैंगन और टोमेटो का मिश्रण बैंगन को इंग्लिश में ब्रिंजल कहते हैं और टोमेटो का नाम मिला के वैज्ञानिकों ने यह नया नाम दिया।
किसानो को हाइब्रिड खेती से मिलेगा फायदा:
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रजाति के पौधे से बैंगन और टमाटर दोनों लिए जा सकते हैं। यानी अगर आप इस वैरायटी की खेती करते हो तो आप एक साथ टमाटर और बैंगन दोनों की फसल ले सकते हो। किसानों में कहीं बार देखा गया है कि उनको फरियाद रहती हैं या तो टमाटो के भाव बाजार में नहीं मिलते तो बैंगन के भाव बाजार में नहीं मिलते हैं, मगर अब एक ही पेड़ पर दोनों पौधे लगेगी तो दोनों में से किसी एक की कीमत बाजार से ज्यादा रही तो किसान को उसका सीधा फायदा होगा.
शहर मे रहने वाले लोगो को भी बेंगन और टमाटो की हाइब्रिड खेती से होगा फायदा:
इस आधुनिक खेती से शहर मे रहने वाले लोगों को भी फायदा मिलने जाने वाला है। शहर में हमने देखा है कहीं लोग गमलों में सब्जियां उगाते हैं। शहर में लोगो के पास जगह कम रहने की समस्या हमेशा से रही है। मगर जब एक ही कमरे से एक ही पौधे से जब बैंगन और टमाटर दोनों लिए जाएंगे तो उनकी यह जरूरीयात खत्म हो जाएगी। वैज्ञानिकों ने बताया कि पौधा लगाने के 2 महीने बाद पौधे में फल बैठने शुरू हो गए और वैज्ञानिकों ने पाया कि उसमें टमाटर और बैंगन दोनों लगे हुए थे। एक पौधे मै से 2.4 किलो टमाटर वही 2.6 किलो बेंगल मिले। अभी देखना यह रहा कि यह पौधे बाजार तक कितने समय मे पहुंचत हे और किसान कब तक इसकी खेती चालू कर पाएंगे।