चीन की हरकतों से भारत का हर नौजवान हर इंसान वाकिफ है। जवाहरलाल नेहरू ने हिंदी चीनी भाई भाई का नारा दिया और उसके कुछ ही वक्त बाद चीन ने भारत पर हमला करके जंग छेड दी थी। तब से लेकर अब तक भारत और चीन के रिश्ते साधारण नहीं हो पाए हैं। बस चाहे दलाई लामा के भारत में शरण लेने को लेकर हो या सियाचिन अरुणाचल प्रदेश कैसी सरकारों के विवाद हो। पिछले कुछ वक्त से भारत और चीन के रिश्ते भी तनाव रूपी देखे गए हैं। चीन की विश्व प्रत्याशी योजना वन बेल्ट वन रोड में भी भारत सहयोगी नहीं हुआ था।
गलवान मे हुए हमले के बाद भारतीय व्यापारी भी चीन के सामने विरोध में उतर आए थे। जैसा कि हम जानते हैं इनके लिए भारत एक बहुत बड़ा मार्केट है। चीन भारत में हजारों करोड़ का माल बेचता है। मगर पिछले साल हुए हमले के बाद भारत के व्यापारियों ने चीन से आयात हो रही टीचर पर रोक लगा दी थी या आंशिक रोक लगा दी थी यानी जिस तरह से जैसे पहले व्यापार हो रहा था उस तरीके से या उतनी दर में आयात नहीं की जा रही थी। भारतीय व्यापारी भी चीन को आर्थिक रूप से ज्यादा से ज्यादा नुकसान देने के ठान के बैठे थे।
व्यापारिक संगठन के कैट ने इस साल दिवाली पर चीन के सामान का बहिष्कार और उसके व्यापार पर रोक लगाने का फैसला किया है। यानी कि संगठन में आ रही सारी दुकाने चीन का सामान दिवाली के वक्त नहीं बेचेगी। दिवाली के वक्त ही एक ऐसा अंदाजा है कि चीन को 50000 करोड का नुकसान होगा। भारतीय बाजारी मे चीनी फटाके एलइडी लाइट्स, दिए और कहीं छोटी मोटी चीजें की भारी मात्रा में बिक्री होती है। इस साल व्यापारियों ने तय किया है कि वह चीनी सामान को अपनी दुकानों में नह बेचेगे जिससे चीन को आर्थिक तौर पर थोड़ा बहुत नुकसान दिया जा सके।
कैट के महासचिव ने बताया कि दिवाली के वक्त भारत के प्रमुख शहर मुंबई, नागपुर, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, रांची, चेन्नई, जम्मू, विशाखापट्टनम इंदौर भोपाल, गुवाहाटी, पटना, जैसे प्रमुख शहरों में चीनी सामान पर रोक लगाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे और उनकी कम से कम बिक्री हो उस पर ध्यान देंगे।