इस दिन है भगवान श्रीकृष्ण का 5248वां जन्मोत्स्व, जानें तिथि, मुहूर्त व पूजा विधि

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भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं के बारे में तो सब ने जाना होगा. आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण की जन्म तिथि के बारे में बताने जा रहे हैं. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था. इस दिन रोहिणी नक्षत्र था हम हर साल इस तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं. इस तिथि पर भारत में सभी जगह मटकिया तोड़ी जाती है. मटकी यों में माखन रखा जाता है. क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को माखन बहुत प्रिय था और वह उसे चुरा कर खाते थे. इसीलिए उनका नाम माखन चोर रखा गया था.

इस साल जन्माष्टमी 30 अगस्त को आ रही है. इस दिन कुछ ऐसे मुहूर्त बन रहे हैं, जिससे आपको लाभ मिल सकता है. इस दिन अगर कोई नीचे बताई गई तरीके से भगवान श्री कृष्णा की पूजा करता है तो उसे बहुत लाभ मिलता है.

जन्माष्टमी का मुहूर्त

इस साल जन्माष्टमी 29 अगस्त रात 11:25 से शुरू हो जाएगी और उसका समापन 31 अगस्त सुबह 1:59 पर होगा. इस साल रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ 30 अगस्त सुबह 6:39 मिनट पर होगा और समापन 31 अगस्त 9:44 पर होगा.

जन्माष्टमी का महत्व

  • जन्माष्टमी का महत्व तो हर कोई जानता है. इस दिन जो कोई भी भगवान श्री कृष्णा की पूजा करता है, या फिर व्रत रखता है. उसको बहुत ही लाभ मिलता है. आज के दिन बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की पूजा और आराधना करते हैं जिससे कि उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो.
  • अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, तो उसे सारे कष्ट और त्वचा से जुड़े रोग हो जाते हैं. इससे बचने के लिए श्री कृष्णा जन्माष्टमी के दिन भगवान की पूजा आराधना करने के साथ-साथ व्रत रखा जाए तो, जातक की कुंडली में चंद्रमा का स्थान मजबूत होता है. और उसे हर एक पीड़ा से छुटकारा मिलता है.
  • अगर किसी को संतान की प्राप्ति करनी है. तो वह लोग भगवान श्री कृष्णा के बाल स्वरूप की पूजा करें जिससे भगवान श्री कृष्ण की कृपा उन पर आएगी और उनके जीवन में संतान प्राप्ति हो सकती है.

पूजा कैसे करें?

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान श्री कृष्ण की पूजा रात को ही करनी चाहिए जन्माष्टमी की रात को भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. भगवान को सबसे पहले पंचामृत का स्नान कराना चाहिए. उसके बाद से उसे साफ करना चाहिए और नए वस्त्र पहनाने चाहिए. इसके बाद इनको झूले पर बैठा कर पूजा करनी चाहिए. फल फूल अर्पित करके भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारने चाहिए. आरती हो जाने के बाद अर्पित किए पंचामृत को प्रसाद के रूप में सभी को बांटना चाहिए.

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ऊपर बताई गई जानकारी धार्मिक आस्थाओं और अलौकिक मान्यताओं पर आधारित है जिसे मात्र लोगों की रुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है

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