इन 2 सरकारी बैंकों को बेचने जा रही केंद्र सरकार, तुरंत चेक करो Balance

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केंद्र में मोदी सरकार पिछले कई सालों से लगातार सरकारी बैंको को बेच रही है या यूं कहें कि उनका निजीकरण कर रही है। देश भर में काम करने वाले लगभग दर्जनों सरकारी बैंक मर्ज हो चुके हैं। अब ऐसी सूचनाएँ हैं कि सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की प्रक्रिया लगभग शुरू हो चुकी है। इनमें दो सरकारी बैंक शॉर्ट लिस्टेड हो चुके हैं।

केंद्र सरकार से जुड़े अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कुछ सूचनाएँ दी। जिसके अनुसार संसद के बजट सत्र में बैंकिंग से जुड़े कुछ बड़े संशोधन पेश करने की तैयारी कर रही है। लेकिन इस बड़े बदलावों के लिए कैबिनेट की मंजूरी में कुछ समय लग सकता है। मानसून सत्र तक संभावना है कि संशोधन हो सकता है। सरकार का उद्देश्य सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन सुनिश्चित करना है। वहीं उत्तर प्रदेश के करोड़ो ऐसे लोग हैं, जिनका अकाउंट इन बैंको में है जिसको लेकर उन्हे सचेत रहने की जरूरत है।

सूत्रों के मुताबिक, सरकारी क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन पर तेजी से काम किया जा रहा है। इंटर-मिनिस्ट्री परामर्श अपने अंतिम चरण में है। वहीं, विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को फाइनल करेगा। इन सारी प्रक्रियाओं को जल्दी से जल्दी पूरा किया जाएगा ताकि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में कम से कम एक बैंक का निजीकरण किया जा सके।

इसके पहले जिस वक़्त बैंक मरजर की बातें ही चल रही थीं उसी समय वित्त मंत्री ने साफ कर दिया था कि वो अभी बैंक मरजर की प्रक्रिया तो शुरुआत भर है। जबकि सरकार बैंकों को प्राइवेट बनाने पर ज़ोर देने जा रही है।

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