हमारे देश में कार रखना एक वैभवी चीज मानी जाती है। सरकार की नजर में पैसे वाले लोग ही कार रखते है। इसीलिए सरकार कार मालिकों से चार तरह की टेक्स वसूल करती है। आपको बतादे के इसमें मोटर वाहन टैक्स, पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स, वन टाइम रोड टैक्स और पेट्रोल-डीजल पर सेस। फिर सवाल यह उठता है के अगर कार के मालिक ने कार लेते समय ही रोड टेक्स दे दिया है तो फिर भी उनसे रोड टेक्स क्यों वसूला जाता है।
यह तो एक चर्चा विषय है ही के कार खरीदते समय तो रोड टेक्स दे दिया होता है फिर भी क्यों टोल टेक्स देना। फिर दूसरा प्रश्न उठता है के आखिर आम आदमी ही क्यों रोड टेक्स भरे। केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक मौजूदा समय में 25 तरह के वाहनों से कोई टोल टैक्स नहीं वसूला जाता। मजेदार बात यह है कि करीब एक दशक पहले तक केवल 9 श्रेणियों के वाहनों को टोल टैक्स से छूट प्राप्त थी जो आज बढ़कर 25 हो गई है।
एक रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई के द्वारा एकत्रित किए गए माहिती से पता चलता है कि बहुत सारी रोड निर्माता कम्पनिया ऐसे ही जो केवल 5 से 7 साल में ही टोल टेक्स वसूल करके रोड का भुगतान कर लेती है तो फिर सरकार उन्हें क्यों 20 साल तक टोल टेक्स वसूलने की क्यों अनुमति देती है। इससे कम्पनिया मालामाल होती है और आम आदमी की जेब में इसका मार पड़ता है।
केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक मौजूदा समय में 25 तरह के वाहनों से कोई टोल टैक्स नहीं वसूला जाता। इस सूची में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों से लेकर सांसद और जज-मजिस्ट्रेट सहित बड़े-बड़े अधिकारियों के नाम शामिल है। एक रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी निजी यात्रा के दौरान भी टोल टैक्स का भुगतान नहीं करते। भारत दुनिया में संभवतः पहला लोकतांत्रित देश है जहां टोल टैक्स छूट पाने वालों की इतनी लंबी सूची है।