हमारे देश में आज भी बहुत सारे ऐसे परिवार है जो खानदानी दुश्मनी निभा रहे है। बदला लेने की भावना से कई परिवार ने अपने बेटे पिता को खोया है। कुछ ऐसा उत्तरप्रदेश के जौनपुर के रहने वाले सूरज कुमार राय के साथ हुआ था। सूरज कुमार जब पढाई कर रहे थे तब उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। तो उस समय सूरज कुमार ने बदला लेने के बजाय कुछ ऐसा रास्ता चुना के आप सब इन्हे सलाम करेंगे।
सूरज कुमार ने बताया के पिता की मौत के बाद मैं टूट सा गया था जिसके बाद मुझे मेरे घरवालों ने संभाला और कहा कि तुम जाओ और पढ़ाई पर ध्यान लगाओ। कॉलेज के चार सालों के दौरान मैं अपने पिता की मौत को भुला नहीं पाया। लेकिन इन चार सालों ने मुझे काफी कुछ सिखाया कि आगे मुझे क्या करना है। उन्होंने आगे कहा कि अगर मेरे पिता आज जिंदा होते तो मेरी कामयाबी पर गर्व महसूस करते।
मुझे उस समय इंसाफ नहीं मिला था और मेरे साथ और भी लोग थे जो इस लाइन में खड़े थे. मुझे इसी चीज ने पुलिस अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया ताकि मैं इन जैसे लोगों को इंसाफ दिला सकूं। इसमें सबसे बड़ा हाथ मेरे दोस्तों और मेरे परिवार वालों का हैं। 1-2 साल तक मुझे इस बात को समझने में लग गया कि अकेले इस देश में मैं ही ऐसा नहीं हूं जो इस तरह सिस्टम से लड़ रहा है। मेरी तरह कई और लोग भी है जो सिस्टम से परेशान हैं और इंसाफ मांग रहे हैं।
आपको बता दें कि सूरज ने 2009 में इंजिनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया था और तीसरी कोशिश साल 2017 में सूरज ने यूपीएससी की परीक्षा पास दी थी। बतादे के उत्तर प्रदेश के जौनपुर से सूरज कुमार राय ने 117 वीं रैंक हासिल की थी।सूरज कुमार ने बताया के मुझे एक दशक हो चुका है और मुझे अभी तक इंसाफ नहीं मिल पाया है। मैं इसके लिए सिस्टम को जिम्मेदार नहीं मानता। मुझे लगता है कि सिस्टम में बस सुधार की जरूरत हैं और इस सोसायटी में जितने भी मोटिवेटेड लोग हैं अगर वो जाकर सिस्टम को ज्वाइन करते हैं तो सिस्टम में जरूर सुधार आएगा।