पुरे विश्व में केवल एक ही मंदिर ऐसा है, जहापर भगवन विष्णु के पदचिन्ह की पूजा करी जाती है| यह मंदिर बिहार के गया में स्थित है| इसका नाम विष्णुपद मंदिर है| मंदिर की ऊंचाई 100 फुट है| मंदिर को बहोत ही भव्य तरीके से बनाया गया है, मंदिर के अन्दर भगवन विष्णु के पदचिन्ह मौजूद है| मंदिर में बहोत बड़ा सभाखंड भी मौजूद है, जिसमे 44 पिलर बनाये हुए है|
उतना ही नहीं, मंदिर के शीर्ष पर 50 किलो सोने का कलश रखा गया है और 50 किलो सोने का ध्वज भी लगाया गया है| मंदिर के गर्भ गृह में 50 किलो चांदी का छत्र और 50 किलो चांदी का अष्टपहल भी है| मंदिर के अन्दर भगवन विष्णु के पदचिन्ह भी है, जिसकी लम्बाई करीब 40 सेंटीमीटर है|
मंदिर सतयुग से मौजूद है, लेकिन इसका जिर्नोध्वार 18वि शताब्दी में महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था| मंदिर में बने भगवन विष्णु के पदचिन्हों पर गदा, चक्र, शंख अंकित करे गए है| मंदिर गया में फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है| इस मंदिर के दर्शन करने लोग दूर दूर से आते है और भगवन विष्णु के पदचिन्ह की पूजा करते है|
ऐसा माना जाता है की, पितृओ का तर्पण करने के बाद इस मंदिर के दर्शन करने से पूर्वजो को पितृलोक की प्राप्ति होती है| विश्व में केवल एक यही मंदिर है, जहापर भगवन विष्णु के साक्षात् पदचिन्ह देखनेको मिलते है| यहाँ पर भगवन विष्णु की मूर्ति की नहीं बल्कि उनके पदचिन्ह की पूजा करी जाती है|
मंदिर से जुडी एक मान्यता के अनुसार, भगवन विष्णु के चरण चिन्ह रूशी मरीचि की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर स्थित है| राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए धर्मपुरी से माता धर्मवत्ता शिला को लाया गया था| जिसे गयासुर पर रखकर भगवन विष्णु ने अपने परोसे दबाया था, जिसके बाद पथ्थर पर भगवन के पदचिन्ह बन गए थे|