महाशिवरात्रि: शिवभक्त अघोरियों की रहस्यमय दुनिया, जानें श्मशान में ही क्यों रहते हैं अघोरी?

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शिव रात्रि 1 मार्च को आ रही है, वैसे वैसे महादेव के भक्त शिवरात्रि के दिन करने वाली पूजा की तैयारियो में लग गए है| महादेव से सबसे बड़े भक्त अघोरियो को माना जाता है| भगवान शिव तंत्र मन्त्र के अधिष्ठाता है| विश्व को तंत्र और मंत्र का ज्ञान भगवान शिव नही दिया था| महाशिवरात्रि के अवसर पर हम आज आपको अघोरियो के बारेमे कुछ अनजान जानकारी देने जा रहे है जिसको आपने कभी सुना नहीं होगा|

सबसे पहले आपको अघोरी का मतलब समजना होगा| अघोरी को कुछ शब्दों और वाक्यों में बयां नहीं किया जा सकता लेकिन आपको थोड़े शब्दों में संजाने की कोशिश करते है| अघोरी यानी वो जो घोर नहीं है| जो सहज और सरल है| जिसके मायने में सब एक है| अघोरी सड़ते हुए मांस कोभी चाव से खाते है जैसे स्वादिस्ट भोजन हो| गाय के मांस को छोड़ वह लगभग साड़ी चीजे खा लेते है|

अघोरपंथ में स्मशान में पूजा आराधन करने को अहमियत दी जाती है| अघोरी स्मशान में पूजा करना पसंद करते है क्यों की ऐसा मानना होता है की वहा पर करी गई पूजा जल्दी प्रसन्न होती है| स्मशान में लोगो को आवागमन बहोत कम होता है इसलिए वहा पर करी गई पूजा विधि में विघ्न बहोत कम आते है| अघोरियो का स्वभाव बहोत हठी होता है| वह जिस बात की हठ पकडले उसे पाए बिना छोड़ते नहीं है|

उनके मन में कभी अच्छे बुरे का भाव पैदा नहीं होता है| अगर उनको प्यास लगे और पिने के लिए कुछ न हो तो कहा जाता है की वह अपना मूत्र भी पि लेते है| वह अधिकतर अपने सिध्ध मंत्र का जाप करते रहते है| उनका ज्यादातर समय साधना करने मेही व्यतीत होता है| अघोरी तिन तरह की साधना करते है, शिव साधना, शव साधना और स्मशान साधना| वह लोगो से अलग हो रहना पसंद करते है|

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