आज हम आपको एक ऐसी गुफा के बारे में बताने जा रहे हैं. जिस गुफा का जिक्र हमारे शास्त्रों में भी किया गया है. इस गुफा का नाम पाताल भुवनेश्वर गुफा है. यह गुफा उत्तराखंड में मौजूद है और यह एक आश्चर्य से कम नहीं है.
जैसे सत्य द्वापर युग और त्रेता युग का अंत हुआ वैसे ही कलयुग का अंत होना निश्चित है. कलयुग कब अंत की तरफ जाएगा, उसका रहस्य पूजनीय अंबिका प्रसाद जी शुक्ला बताते हुए कहते हैं कि, स्कंद पुराण के अनुसार उत्तराखंड के कुमाऊं विभाग में गंगोलीहाट नगर में आई हुई पाताल भुवनेश्वर गुफा में बताया गया है. इस गुफा में भगवान शिव का वास है. सभी देवी देवता इस गुफा में भगवान शिव जी की पूजा करने के लिए आते रहते हैं. यह गुफा पर्वत के 90 फुट अंदर है.
इस गुफा में ब्रह्मांड की रचना से लेकर कलयुग कब खत्म होगा, उसका संपूर्ण वर्णन या किया गया है. इस गुफा में पत्थरों से हस्तकलाए बनाई गई है. इसी हस्तकला में सभी राज बताए गए हैं. मुख्य दरवाजे से लगभग 80 फुट नीचे उतरने के बाद एक पूरा विश्व दिखाया गया है. जहां पर सभी लोगों का इतिहास एक ही जगह पर दिखाया गया है. इस गुफा में पत्थर से बनी हस्तकला हमें अपने आध्यात्मिक और पौराणिक वैभव के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है.
इस गुफा में जमीन के अंदर जाते हैं. गुफा की दीवारों पर शेषनाग की प्रतिमा बनाई गई है. उसके साथ-साथ कई देवी-देवताओं की आकृति भी पत्थरों पर बनाई गई है. गुफा की शुरुआत में ही शेषनाग जैसी रचना दिखाई पड़ती है. ऐसा माना जाता है कि, सारी पृथ्वी शेषनाग के सिर पर टिकी हुई है. इस गुफा में इसके अलावा चार स्तंभ भी है. इन स्तंभों को चारों युगों का प्रतीक माना गया है. सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग.
चार स्तंभ में से तीन स्तंभ का कद एक समान है. लेकिन कलयुग के स्तंभ की लंबाई ज्यादा है. यह स्तंभ छत से केवल 4 फीट ही नीचे है. ऐसा माना जाता है कि, यह स्तंभ जब छत को छू जाएगा, तब कलयुग का अंत होगा और कलयुग का अंत महाप्रलय से ही होगा.
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ऊपर बताई गई जानकारी धार्मिक आस्थाओं और अलौकिक मान्यताओं पर आधारित है.. जिसे मात्र लोगों की रुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है..