दिन में सब्जी का ठेला..रात में की पढ़ाई, सिविल जज की परीक्षा दी, पूरे प्रदेश में आई दूसरी रैंक

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हमरे देश में बहुत सारे बच्चे ऐसे है जो पढाई लिखाई में बहुत होशियार होते है लेकिन अपने परिवार की परिस्थिति के कारण वह आगे पढ़ नहीं पाते फिर कुछ न कुछ करने अपना गुजारा कर लेते है। आज हम आपको एक ऐसे महेनती लड़के के बारे में बताने वाले जो देश के सभी उन बच्चो के लिए उदहारण और प्रेरणा रूप साबित होने वाली है।

हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के सतना जिले रहने वावाले शिवाकांत कुशवाहा के बारे में।बतादे के सतना जिले केअमरपाटन में रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा एक गरीब परिवार से हैं। उनके पिता का नाम कुंजी लाल था और वो मजदूरी करके परिवार चलाते थे। गरीब परिवार से होने के कारण वो दिन भर सब्जी का ठेला लगाता और रात में पढ़ाई करता था।

शिवाकांत पढ़ाई में अच्छे थे। इसी वजह से उन्होंने पढ़ना जारी रखा। घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए वो सब्जी का ठेला लगाने लगे। वहीं मां का सपना था कि उनका बेटा जज बने। इस वजह से उन्होंने रीवा के ठाकुर रणमत सिंह कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की। दिन भर वो ठेले पर सब्जी बेचते और रात में पढ़ाई करने बैठ जाते थे।

मां का सपना पूरा करने के लिए शिवाकांत ने जज बनने की ठान ली थी। उन्होंने सिविल जज की परीक्षा देनी शुरू की। वो परीक्षा की तैयारी के साथ ही सब्जी भी बेचा करते थे। उन्होंने पहली बार जज का एग्जाम दिया तो असफल हो गए। इसके बाद असफलता ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। एक के बाद एक चार बार उनको असफलता मिली।

इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उनकी पत्नी ने बताया कि वो 24 में से 18 घंटे पढ़ाई करने लगे। फिर पांचवी बार वो सिविल जज के एग्जाम में बैठे। इस बार जब रिजल्ट आया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। ओबीसी वर्ग में पूरे मध्य प्रदेश में उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया था। उनकी मां का सपना पूरा हो गया और वो जज बन गए।

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