कश्मीर फाइल्स फिल्म रिलीस होते ही पूरे भारत मे कश्मीरी पंडितो पे हुए अत्याचारो की चर्चा फिरसे तेज हो गई हे. कश्मीर जो की कश्मीरी पंडितो से भरा रहता था जो वहा सदियो से बसे हुए थे वह कश्मीरी पण्डिति आजादी के वक्त सिर्फ १५% रह गए थे. मगर 1990 के दशक मे कश्मीर मे जुल्म और अत्याचारो के मामले बढने लगे. 1990 में कश्मीरी पंडितो को कट्टरपंथी संगठनों ने पंडितो को सताना शरू कर दिया।
जब कश्मीरी पंडितों के घर की पहचान करके उनको सताए जाने लगा. आपको बतादे की उस वक्त पुलिस, प्रशासन, जज, डॉक्टर, प्रोफेसर या सरकारी नौकरियों मे कश्मीर पंडितों की संख्या ज्यादा हुआ करती थी और ऐसे अफसरो को सबसे पहले निशाना बनाया गया था. 14 सितंबर 1989 को पंडित टीका लाल टिक्कू को खुलेआम हत्या कर दी गई. उसके बाद कश्मीर मे अलग-अलग नारे लगाए जाने लगे और कश्मीरी पंडितो को भागने की कोशिशे तेज होने लगी.लाखो लोग विस्थापित हुए. कही लोगो ने अपने परिवारो को खोया किसी ने जमीन, तो किसी ने घर, किसी ने नौकरी, तो किसी ने परिवार का सभ्य खोया। इन सब के बिच गिरजा टिक्कू की कहानी जिसने भी सुनी वो लोग अपने आंसू नही रोक पाए.
गिरिजा टिक्कू की दर्द भरी कहानी:
जून 1990 को कश्मीर में एक ऐसी घटना हुई जिसके बारे मे जिसने भी सुना वह दहल गया. गिरिजा टिक्कू नामकी महिला यूनिवर्सिटी में Librarian के पद पर काम करती थी. लेकिन पलायन की वजह से उन्होने कश्मीर छोड दिया था. एक दिन उनके सहयोगी ने उन्हें फोन करके कहा कि उनकी सैलरी आ गई है और अब यहां माहोल पहले से अच्छा हे तो यहा आकर अपनी सैलरी ले सकती हैं.
गिरिजा जो घर नौकरी जाने के बाद पैसो की तंगी जेल रही थी उन्होंने तय किआ की वह क्षीर जेक सैलरी ले आएगी। जब वह बस से घाटी की और जा रही थी तभी रस्ते मे उन्हे बस से दिनदहाड़े पांच लोगो ने अगवा कर लिया, कहा जाता हे की उनका रेप किया गया और उनके शरीर के दो हिस्से कर दिए गए. ऐसी ही हजारो दर्द भरी कहानी से कश्मीर घाटी जल उठी थी, आज भी कश्मीरी पंडित अपने घर जमीन पर फिरसे बस ने का सपना या उम्मीद संजोये बैठे हे.