हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओ तो महत्व दिया जाता है| हिन्दू धर्म में बहोत सरे देवी देवताओ की पूजा और अर्चना की जाती है| सभी देवी देवताओ को अपने अपने दिन के हिसाब से पूजा जाता है| वेसे तो हररोज पूजा करी जाती है लेकिन हर एक का विशिष्ठ दिन होता है, जेसेकी शनिदेव को शनिवार, सूर्यदेव को रविवार, हनुमानजी को शनिवार और मंगलवार| कई देवी देवताओ के अपने अपने वाहन भी होते है| जेसेकी विष्णुजी का वाहन गरुड़ होता है, गणेश भगवान का मूषक होता है, मा सरस्वती का मोर होता है| इसके पीछे भी मान्यता और कथाये मोजूद है| आज हम आपको मा दुर्गा की सवारी शेर केसे बनी, इसके बारे में जानकारी देंगे|
मा दुर्गा को शेरावाली माता कह कर भी बुलाया जाता है| सीके पीछे भी एक कहानी है| दरअसल हुआ था युकी, मा पारवती ने भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपश्या करी थी| कठोर तपष्या करनेसे मा पारवती का रंग बेहद सावला हो गया था| एक दिन मा पारवती और भगवान शंकर दोनो हशी मजाक कर रहे थे| हसी मजाक में भगवान शंकर ने मा पारवती को काली कह दिया था|
मा पारवती को बहोत बुरा लगनेसे, मा पारवती ने कैलाश छोड़कर जंगल में जाकर तपष्या में लीन हो गई| मा पारवती तपष्या में लीं थी उसी वक्ता वहा शेर आ गया| शेर उन्हें आहार बनाने के लिए आया था| लेकिन माता को तपष्या में लीन लेख वह इन्तेजार करता रहा की जब मा पारवती तपष्या से उठेगी तब वह उनका आहार करेगा| मा पारवती की कठोर तपष्या देख भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उन्हें गौरवर्ण यानी की गौरी कोने का वरदान दिया| उसके बाद मा पारवती ने गंगा में स्नान किया जिसमेसे सावली देवी प्रगट हुई, जिनको माँ कौशिकी कहा गया और माता पारवती को महागौरी कहा गया|
माता पारवती जब तपष्या मेसे उठी तो देखा की शेर वहा कई वर्षो से भूखा बता रहा| उसका ध्यान माँ पारवती पढ़ी रहा वर्षो तक| इसे मा पारवती ने तपश्या मान लिया और शेर को वरदान में अपनी सवारी बना दिया| इसीलिए इनको शेरावाली माभी कहा गया|
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ऊपर बताई गई जानकारी धार्मिक आस्थाओं और अलौकिक मान्यताओं पर आधारित है. जिसे मात्र लोगों की रुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है.