गरीबों के लिए मसीहा है यह टीचर, आंशिक दृष्टिहीन हैं, पर छात्रों के जीवन में फैला रही हैं रोशनी बेघर छात्रों के घर बनवाने में कर रही है मदद

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केरल में कट्प्पना के पास लब्बाक्कड़ा की रहने वाली लिंसी जॉर्ज 42 वर्षीय लिंसी आंशिक रूप से दृष्टिहीन हैं, मगर वह अगली पीढ़ी के जीवन में प्रकाश फैलाने का काम कर रही हैं। लिंसी जॉर्ज, इडुक्की के मुरीकट्टुकुडी में सरकारी जनजातीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के निचले प्राथमिक खंड में शिक्षिका हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लिंसी आदिवासी छात्रों और उनके वंचित परिवारों को बसने में मदद देने का काम करती हैं। वह अबतक स्कूल के 6 बेघर आदिवासी बच्चों को उनके सिर पर छत दिलाने में मदद कर चुकी हैं।

ऐसे हुई शुरुआत

लिंसी जॉर्ज ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि साल 2005 में जब वो 25 साल की थीं, तो उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने का फैसला किया था। वो कहती हैं ‘मुरिककट्टुकुडी के एलपी स्कूल में मेरी दूसरी पोस्टिंग थी। जब मैं एक छात्रा के घर गई तो वहां का नजारा देखकर दंग रह गई। उस छात्रा के परिवार के पास एक कुर्सी भी नहीं थी। फिर इसके बाद मैंने उनके लिए कुछ करने का फैसला किया।

पति ने भी दिया साथ

लिंसी ने कई लोगों से मदद ली. इस काम में उनके पति सेबेस्टियन ने भी भरपूर मदद की. और उस छात्रा के लिए लिंसी ने एक घर बनाने में मदद की. इस तरह यह सिलसिला चल पड़ा। अबतक वो 6 गरीब आदिवासी छात्रों के परिवारों के सिर पर छत दे चुकी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने स्कूल में एक वेजिटेबल गार्डन की भी स्थापना की है, जहां से गरीबों को सब्जियां दी जाती हैं। साथ ही कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने मुरीकट्टुकुडी में करीब 150 परिवारों को किराने का सामान वितरित करने में कामयाब रही थीं।

साल 2020 में लिंसी को केरल सरकार ने ‘स्टेट टीचर अवार्ड’ से सम्मानित किया. लिंसी का कहना है कि छात्र सीधे उनके पास आकर अपने हालात के बारे में बताते हैं। वो कहती हैं, ‘सरकारी योजना का लाभ उठाने के लिए कई आदिवासी परिवारों के पास उचित दस्तावेज भी नहीं है। जिन्हें सरकार द्वारा जमीन और घर दिया गया है, बीमार सदस्यों के इलाज में मजबूरी में जमीन और घर उन्हें बेचना पड़ा।

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