१२ ज्योतिर्लिंग मे से एक यानि कशी विश्वनाथ मंदिर। इसकी स्थापना आदि काल से बताई जाती हे. 1994 मे गौरी के द्वारा नुकसान पोह्चय गया तो १५१० मे लोदी के द्वारा। मानसिंह ने इसका पुनःनिर्माण करवाया मगर १६६९ मे औरंगजेब को क्षतिग्रस्त किया। आज का मंदिर अहिल्याबाई होल्कर ने १७८० में पुन निर्माण जीर्णोद्धार करवाया.
काशी ने कई राजाओं का शासन देखा है, जिनमे हिन्दू, मुस्लिम के आलावा कशी परकुछ समय तक बौद्धों का भी शासन रहा था। इंदौर की रानी रानी अहिल्या बाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर को अंतिम बार फिर से बनवाया और इसकी महिमा पुरे विश्व मे छा गई। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए धन मुहैया कराया।
यह मंदिर करोडो लोगो के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यहाँभगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मौजूद है। यह भगवन शिव बसाई हुई पुरे विश्व मे सबसे पुराने शहरो मे से एक हे. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव वास्तव में यहां कुछ समय बिताया करते थे। काशी विश्वनाथ मंदिर के तीन गुंबद हैं जो सोने से ढके हैं.
ऐसा कहा जाता है कि जब मंदिर को नष्ट करने की योजना की खबर यहां पहुंची, तो शिव की मूर्ति को विनाश से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था। कुआँ, जिसे ज्ञान का कुआँ कहा जाता है. हर साल यहाँ करोडो भक्तों द्वारा दौरा किया जाता है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के साथ इसे एक अलग ही रौनक दी गई हे। 13 दिसंबर को पीएम मोदी ने प्रोजेक्ट के फेज-1 का उद्घाटन किया। आने इलेक्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री का यह दौरा काफी विशेष माना जा रहा हे.