क्या आप जानते हैं इन कारणवश राधा और कृष्णा कभी एक ना हो पाए। जाने क्यों राधा और कृष्ण की शादी नहीं हो पाईप्यार की निशानी यानी राधा और कृष्ण। इस रिश्ते को हम आज प्यार, करुणा, बलिदान की प्रतिमा मानते हे। माना जाता हे की संसार में लोग अगर किसी से प्यार करना सीखे हे तो भगवान कृष्ण की कहानियों से।यह रिश्ता इतना मजबूत माना जाता हे की आज 6000 साल बाद भी किसी एक का नाम न लेके लोग राधा कृष्ण बोलते हेशादी न होके भी एक दूसरे से ऐसे जुड़े थे की 6000 साल बाद भी राधा कृष्ण का नाम साथ में लिया जाता हे। पूरे विश्व में अगर सच्चे प्यार की कोई निशानी है तो वह बस यही हे।
राधा और कृष्ण की कहानियां सदियों से पुरे विश्व को सच्चे प्यार का सही मतलब समझती हे। आइए जानते हे ऐसा क्या हुआ की राधा और कृष्ण की शादी न हो सकी।राधा और कृष्ण की शादी ना हो सके इसके पीछे कई तथ्य और कहानियां है। आइए जानते हे इसमें से कुछ कहानियां। जैसा कि हम जानते हैं कृष्ण और सुदामा की मित्रता अजोड़ मानी जाती है।
सुदामा हमेशा कृष्ण भक्ति में रहते थे। जैसे-जैसे कृष्ण राधा के नजदीक जा रहे थे वैसे वैसे सुदामा को ऐसा लग रहा था कि उनका मित्र उनसे दूर जा रहा हो। इसी आवेश में आकर कहा जाता है कि सुदामा ने राधा को शाप दे दिया था कि उनकी शादी कभी भी कृष्ण के संग ना हो।एक और कहानी ऐसी है कि एक दिन कृष्ण अपने मित्रों संग बैठे हुए थे, साथ में राधा रानी भी बैठे हुए थे तभी कृष्ण और राधा में किसी बात को लेके जागड़ा हो गया, यह झगड़ा बढ़ते देख सुदामा ने कृष्ण का साथ देते हुए उनका पक्ष मजबूत किया सुदामा अपने मित्र धर्म को निभा रहे थे।
मगर राधा रानी को यह पसंद नहीं आया और राधा रानी ने सुदामा को श्राप दिया कि अगले जन्म में आप अपंग होंगे। इसी बात से सुदामा में क्रोधित हो गए और सुदामा ने राधा रानी को शाप दिया कि उनकी शादी कभी कृष्ण के संग ना हो पाए।दूसरी ऐसी घटना है कि रुकमणी माता लक्ष्मी के अवतार माने जाते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कृष्णा विष्णु अवतार थे। और माता रुक्मणी लक्ष्मी अवतार थे। तो पृथ्वी लोक में उनकी शादी होना पहले से ही तय था। कृष्ण के बाल अवतार में जैसे उनके रिश्ते राधा के साथ घाट बनते गए वैसे ही रुकमणी जी को इस बात से जलन होने लगी। हर तरफ कृष्ण और राधा के चर्चे मशहूर होने लगे थे।
इसी वजह से रुकमणी जी ने क्रोधित होके कृष्ण को शाप दिया कि आपकी शादी कभी भी राधा के साथ नहीं होगी। और आगे जाकर वही हुआ रुक्मणी जी व कृष्णा की शादी जैसे पहले से तय थी उसी तरीके से हुई और राधा और कृष्णा को अपने जीवन काल के दरमियान एक दूसरे से दूर रहना पड़ा।मगर कोई कैसे सच्चे प्यार को अलग कर सकता है। जै
सा कि हम जानते हैं कृष्ण और राधा दो अलग शरीर जरूर थे, मगर उनकी आत्मा हमेशा एक थी। आज भी जब जब कृष्ण का नाम लिया जाता है तो साथ में राधा रानी का नाम भी लिया जाता है।कहीं लोग आज भी मिलते हैं तो राधे राधे के उच्चार से अपने आप की पहचान देते हैं। आज भी कृष्ण मंदिर में बैठे हो तो कृष्ण के साथ साथ राधा के गुणगान गाए जाते हैं। कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी एक सच्चे प्यार की निशानी है। एक ना होकर भी कैसे एक दूसरे के साथ जिया जा सकता है यह कृष्ण और राधा से सीखा जा सकता है। आज की तारीख में हम कितने भी अच्छे फिल्में देख ले या कोई भी अच्छी प्यार की कहानी सुन ले मगर वह कृष्ण और राधा की कहानी के आगे फिक्की हे।