कभी सोचा है, ट्रैक्टर आगे के टायर छोटे और पीछे के बड़े क्यों होते हैं? यहां जानिए वजह

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भारत एक कृषि प्रधान देश है| देश की आधे से ज्यादा आबादी खेती के ऊपर आधारित है| खेती करने में सबसे ज्यादा जिस साधन का इस्तेमाल होता है वह ट्रेक्टर होता है| वर्तमान समय में ट्रेक्टर की बिना खेती करना मुमकिन नहीं है| ट्रेक्टर के आने से सभी किसानो की खेती करने की तकनीक बदल गई है और खेती में उत्पादन काफी बढ़ गया है| ट्रेक्टर किसानो के लिए एक वरदान से कम नहीं है|

लेकिन एक खास बात जो आपको ट्रेक्टर के बारेमे मालुम नहीं होगी| शायद आजसे पहले आपने इसके बारेमे सोचा भी नहीं होगा| क्या आप जानते है की ट्रेक्टर के आगे के टायर छोटे और पिछेके टायर क्यों बड़े होते है? आप भी यह सवाल पढ़ कर हैरान में पड़ गए होंगे| लेकिन आज आपको हम इसके पीछे की वजह और तकनीक दोनों के बारेमे जानकारी देने जा रहे है|

दरअसल ट्रेक्टर के आगे और पीछे के टायर का उदेश्य अलग अलग होता है| टायर की डिजाईन ट्रेक्टर की हेंडलिंग, ग्रिप, तेल की खपत को ध्यान में रख कर करी गई है| इस सभी बातो का ध्यान ट्रेक्टर बनाते समय रखा जाता है, नहीं तो ट्रेक्टर ठीक से काम नहीं करता है|

दरअसल ट्रेक्टर के आगे के टायर इस लिए छोटे रखे जाते है की, छोटे टायर को गुमाने में बहोत ज्यादा स्टीरिंग गुमाना नहीं पड़ता है| आगे के टायर ही ट्रेक्टर को दिशा देते है| ट्रेक्टर का स्टीरिंग सीधा आगे के टायर से जुड़ा हुआ होता है| जितने छोटे टायर होते है उतना ही छोटे मोड़ में जल्दी मोड़ा जा सकता है| छोटे टायर के चलते तेल की खपत भी बहोत कम होती है|

ट्रेक्टर के पीछे के टायर बड़े इस लिए होते है की, ट्रेक्टर का इंजन आगे होता है तो वजन को बांटने के लिए उन्हें पीछे रखा जाता है| ट्रेक्टर को यह बड़े टायर कीचड़ में धंसने से रोकते भी है| इसके आलावा ज्यादा लोड उठाते समय यह बड़े टायर ट्रेक्टर की ग्रिप रोड पर रखते है और ट्रेक्टर को आगेसे ऊँचा होने से भी रोकते है|

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