अयोध्या: माता सीता विदाई के साथ लाई थीं कुलदेवी पार्वती की मूर्ति, जानिए क्या है मान्यता

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भगवान श्री राम की पवित्र नगरी अयोध्या विश्व में श्रेष्ठ तीर्थ स्थलों में प्रमुख है. वहीं, राम की नगरी में एक ऐसा मंदिर है जहां माता सीता की कुलदेवी विराजमान है. हम बात कर रहे हैं राम की पैड़ी से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां छोटी देवकाली मंदिर  की जहां कुलदेवी के रूप में मां पार्वती विराजमान हैं.

श्री छोटी देवकाली स्थान की धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि माता सीता जब भगवान राम के साथ विवाह करके जनकपुर से अयोध्या आई थीं, तब अपने साथ कुलदेवी मां पार्वती की प्रतिमा साथ लेकर आई थीं. चक्रवर्ती राजा दशरथ ने कनक भवन के ईशानकोण में श्री पार्वती जी का मंदिर बनवा दिया था, जिसे मां छोटी देवकाली के नाम से जाना जाता है, जहां माता सीता तथा राजकुल की अन्य रानियां पूजन करने जाया करती थीं. स्कंदपुराण में श्री देव छोटी देव काली मंदिर का उल्लेख मिलता है, जिससे इस ऐतिहासिक मंदिर की पौराणिकता प्रमाणित होती है. वहीं, नवरात्रि (Navratri) में इस मंदिर में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ता है. दूरदराज से लोग माता सीता की कुलदेवी मां पार्वती की दर्शन पूजन करने आते हैं. इस स्थान पर पूजा आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

जानिए क्या है मान्यता

मान्यता है कि विवाहित श्रद्धालु जब श्री छोटी देवकाली का दर्शन पूजन करते हैं तो मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

जानिए कब होती है आरती

छोटी देवकाली मंदिर में प्रातः 6 बजे ,11 बजे भोग आरती, तो सायंकाल 4 बजे और रात्रि में 8 बजे आरती होती है.

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को ।उज्ज्वल से दोउ नैना,चंद्रवदन नीको ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै ।रक्तपुष्प गल माला,कंठन पर साजै ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्पर धारी ।सुर-नर-मुनिजन सेवत,तिनके दुखहारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती ।कोटिक चंद्र दिवाकर,सम राजत ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे,महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना,निशदिन मदमाती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे ।मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी,तुम कमला रानी ।आगम निगम बखानी,तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरों ।बाजत ताल मृदंगा,अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता,भक्तन की दुख हरता ।सुख संपति करता ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित,वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी]मनवांछित फल पावत,सेवत नर नारी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत,अगर कपूर बाती ।श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति,जो कोइ नर गावे ।कहत शिवानंद स्वामी,सुख-संपति पावे ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।

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